Ram Mandir: साल 1528 से शुरू हुआ राम भक्तों का राम मंदिर (ram mandir) का संघर्ष 1853, 1858, 1934, 1949 और 1986 से होते हुए… अब साल 1990 के अंत तक पहुंच चुका था… इस समय तक बीजेपी (bjp) … राम मंदिर (ayodhya ram mandir) को अपना मुद्दा बनाकर राजनीति में अपना पैर जमा चुकी थी… 1989 में दूसरी गैर कांग्रेसी (congress) सरकार बनी थी… और बीजेपी उस सरकार में सहयोगी थी…और प्रधानमंत्री बने थे… विश्वनाथ प्रताप सिंह (vishwanath pratap singh) … अब समय था राम मंदिर पर फैसले (ram mandir verdict) का… बीजेपी और उसके साथ जुड़े हिंदूवादी संगठनों ने ठान लिया था… कि इस सरकार के रहते हुए राम मंदिर (ram mandir) का फैसला हिदुंओं पक्ष में हो जाएगा… बीजेपी (bjp) सरकार का समर्थन भी इसी शर्त पर कर रही थी…लेकिन सत्ता में आने के बाद वीपी सिंह (vp singh) इसमें देरी करने लगे… फिर आडवाणी ने राम रथ यात्रा (ram rath yatra) निकाली…और वीएचपी ने अयोध्या में कार सेवा का प्लान बनाया… तारीख तय की गई ’30 अक्टूबर 1990’… आडवाणी की रथ यात्रा भी 30 अक्टूबर को ही अयोध्या (ayodhya) पहुंचना था… और इनका मकसद था बाबरी मस्जिद (babri masjid) पर भगवा पताका फहराना…लेकिन 30 अक्टूबर को जो हुआ उसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था… ‘राम और सियासत’ के इस एपिसोड में बात ’30 अक्टूबर 1990′ की…
