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भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पहली बार बलूचिस्तान का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान पर मानवाधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। जेनेवा में यूनाइटेड नेशन ह्यूमन राइट्स काउंसिल के 33वें सेशन में भारत ने कहा कि पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर मेें बड़े पैमाने पर मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। भारत ने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कश्मीर में अस्थिरता का मुख्य कारण पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद है जो उसकी महत्वकांक्षाओं से उपजा है। ये बात बार-बार होनेे वाले हमलों से भी साबित हुई है। यूएन में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि अजित कुमार ने कहा कि पाकिस्तान का पिछला निराशाजनक रिकॉर्ड जगज़ाहिर है और कई देशों ने बार-बार पाकिस्तान से कहा है कि वह सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को रोके, आतंकवाद के ढांचे को नष्ट करे और आतंकवाद के सेंटर के तौर पर काम करना बंद करे। कुमार ने कहा कि शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक समाज के तौर पर भारत की साख सबको अच्छी तरह पता है जो कि अपने लोगों के भले के लिए लगातार काम कर रही है। वहीं इसके विपरीत पाकिस्तान की पहचान तानाशाही, अलोकतांत्रिक और बलूचिस्तान के साथ अपने ही देश में व्यापक मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाली है। कुमार ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि समूचा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा।