तराइन की जंग में पृथ्वीराज चौहान की शिकस्त ना होती, अगर जयचंद्र ने मुल्क से बगावत करके मोहम्द गौरी का साथ ना दिया होता। पानीपत की जंग मराठे कभी ना हारते अगर अवध का नवाब शुजाउद्दौला, दुश्मन अहमद शाह अब्दाली के साथ ना खड़ा होता और 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में सपा के टीपू की यूं बुरी तरह हार ना होती, अगर उनके चाचा शिवपाल यादव ने बगावत का बिगुल ना फूंक दिया होता…कहने का मतलब ये कि मध्य काल से लेकर इक्सवीं सदी के भारत तक, राजवंशों से लेकर राजनीतिक दलों तक…बागियों के कहर ना कोई बच नहीं पाया है।