पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) छोटी बचत योजनाओं में काफी लोकप्रिय स्कीम है। पीपीएफ योजना में खाताधारक को आयकर एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत आयकर में छूट का लाभ भी मिलता है। लंबे समय की बचत योजना के लिहाज से भी यह शानदार है और इसमें ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाली धनराशि पर टैक्स में छूट का लाभ भी मिलता है। बता दें कि कोई भी व्यक्ति पीपीएफ खाता खोल सकता है और किसी बच्चे के नाम पर भी पीपीएफ खाता खोला जा सकता है। हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें हैं, जिनका पालन किया जाना जरुरी है। गौरतलब है कि पीपीएफ खाता संयुक्त नाम से नहीं खोला जा सकता है।

बच्चों के नाम पर पीपीएफ खाता खोलने से पहले इन बातों का ध्यान रखना जरुरी है-

बता दें कि कोई व्यक्ति किसी बच्चे के गार्जियन के तौर पर बच्चे के नाम पर पीपीएफ खाता खोल सकता है। बच्चों के नाम पर न्यूनतम 100 रुपए की रकम से पीपीएफ खाता शुरू किया जा सकता है। इस खाते में एक साल में न्यूनतम 500 और अधिकतम 1.5 लाख रुपए ही जमा किए जा सकते हैं।

यदि गार्जियन के नाम पर पहले से ही कोई पीपीएफ खाता खुला हुआ है तो फिर बच्चे के पीपीएफ खाते और गार्जियन के पीपीएफ खाते में संयुक्त रुप से अधिकतम 1.5 लाख रुपए सालाना ही जमा किए जा सकते हैं।

जब बच्चा 18 साल का हो जाएगा तो फिर पीपीएफ खाता बच्चे द्वारा ही संचालित किया जाएगा और एक पत्र द्वारा खाते का स्टेटस बदला जा सकता है।

बच्चे के नाम पर खोले गए पीपीएफ खाते से 7 साल के बाद आंशिक तौर पर रकम निकाली जा सकती है। हालांकि इसके लिए गार्जियन को यह घोषित करना होगा कि निकाली गई रकम बच्चे की जरुरत पर ही खर्ज की जाएगी।

कुछ खास मामलों में डिपॉजिटर या गार्जियन बच्चे के पीपीएफ खाते को बंद करा सकता है। हालांकि यह खाता खोलने के 5 साल बाद ही हो सकेगा। बता दें कि बच्चे के इलाज की सूरत में ही यह किया जा सकेगा। साथ ही इसके लिए जरुरी दस्तावेज भी जमा कराने अनिवार्य हैं।

खाताधारक की उच्च शिक्षा के लिए भी पीपीएफ खाता बंद कर खाते से रकम निकाली जा सकती है। हालांकि यह शर्त भी खाता खुलवाने के पांच साल बाद ही लागू होगी।

बच्चे के नाम पर खोले गए पीपीएफ खाते पर लोन की सुविधा भी मिल सकती हैं, लेकिन गार्जियन को यह बात साबित करनी होगा कि लोन की रकम बच्चे के कल्याण पर ही खर्च होगी।