Public Provident Fund 2019: पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड (PPF) को आमतौर पर लोगों द्वारा निवेश और टैक्स बचत के वित्तीय साधन के रूप में देखा जाता है। हालांकि बहुत कम लोगों को पता है कि पीपीएफ को एक पेंशन टूल के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जी, हां.. यह बिल्कुल सच है। हालांकि यह पारंपरिक पेंशन योजनाओं की तरह नहीं है जिसमें एक निश्चित राशि नियमित तौर पर सेवा से रिटायर्ड हो चुके ग्राहकों के बैंक खातों में जमा की जाती है।

मगर कुछ स्मार्ट प्लानिंग के साथ पीपीएफ का इस्तेमाल वित्तीय साधन के रूप में किया जा सकता है। दरअसल पीपीएफ में लंबी अवधि के लिए निवेश करने बाद हर साल नियमति तौर पर वित्तीय लाभ लिया जा सकता है। इसके लिए पीपीएफ में दो प्रावधान हैं।

पहला- पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड स्कीम (1968) 15 वर्ष की अनिवार्य परिपक्वता अवधि से परे पीपीएफ खाते के विस्तार की अनुमति देती है। जिसमें पीपीएफ खाते को पांच साल के ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए ग्राहक को अनुरोध के लिए फॉर्म एच अकाउंट ऑफिस में जमा कराना होगा।

दूसरा- पीपीएफ खाताधारक को 5 वर्ष की ब्लॉक अवधि के दौरान एक वर्ष में एक बार आंशिक निकासी करने की अनुमति है। पांच साल की ब्लॉक अवधि में कुल निकासी शेष राशि का 60 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इन दोनों प्रावधानों की मदद से कोई ग्राहक अपनी पेंशन की जरूरतों के लिए पीपीएफ से हर वर्ष एक अच्छी रकम निकाल सकता है। मान लीजिए की किसी खाताधार के खाते में 25/30/35 वर्ष के आखिर में एक करोड़ रुपए की राशि रहती है और मौजूदा नियम के मुताबिक ब्याज 7.9 फीसदी की हिसाब से मिलता है तो उक्त खाता धारक को साल में 7.9 लीख रुपए ब्याज के रूप में मिलेंगे।

ऐसे में कोई भी खाताधार अपने पीपीएफ खाते से एक आंशिक निकासी अपनी पेंशन के रूप में कर सकता है। इससे पीपीएफ खाताधारक को पेंशन के रूप में 65,000 प्रति महीना का लाभ मिल सकता है।