All About One Nation One Subscription Scheme, Benefits for Students, how it works, Publications Under it: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ (ONOS) पहल के लिए 6,000 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन को मंजूरी दी। इस पहल के तहत केंद्र को उम्मीद है कि भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) को बेहतर शैक्षणिक संसाधनों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
ONOS एक ही मंच के तहत 13,000 स्कॉलर्स के जर्नल्स तक पहुंच देने के उद्देश्य पर काम करेगा जिसके तहत लगभग 6300 सरकारी संस्थानों के लिए जर्नल सदस्यता को सेंट्रलाइज किया जाएगा।
वर्तमान में, उच्च शिक्षा संस्थान 10 अलग-अलग पुस्तकालय संघों (Library Consortia) के माध्यम से जर्नल्स तक पहुंच सकते हैं जो विभिन्न मंत्रालयों के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं। एक पुस्तकालय संघ दो या दो से अधिक पुस्तकालयों का समूह है जो कुछ समान आवश्यकताओं जैसे संसाधन साझा करने के लिए काम करते है।
क्या है वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन स्कीम?
इसके अलावा, उच्च शिक्षा संस्थान व्यक्तिगत रूप से भी कई पत्रिकाओं की सदस्यता लेते हैं। सरकारी अनुमानों के अनुसार, लगभग 2,500 उच्च शिक्षा संस्थान उपरोक्त नेटवर्क और पर्सनल मेंबरशिप के माध्यम से 8100 पत्रिकाओं तक पहुंच सकते हैं।
ONOS योजना के माध्यम से केंद्र का लक्ष्य सभी सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए जर्नल एक्सेस के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण को एक जगह इकट्ठा करना है। ONOS राज्य और केंद्र सरकार के उच्च शिक्षा संस्थानों को एक ही मंच पर हजारों जर्नल एक्सेस करने में सक्षम बनाएगा। यह स्कीम 1 जनवरी, 2025 से लागू होगी।
स्कीम के लिए दिया 6,000 करोड़ का बजट
यह 30 अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित 13,000 जर्नल्स को एक जगह करेगा, जिनमें एल्सेवियर साइंस डायरेक्ट (लैंसेट सहित), स्प्रिंगर नेचर, विली ब्लैकवेल पब्लिशिंग, टेलर एंड फ्रांसिस, आईईईई, सेज पब्लिशिंग, अमेरिकन केमिकल सोसाइटी और अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी शामिल हैं। इन पत्रिकाओं तक पहुंचने के लिए सभी संस्थानों को केवल प्लेटफ़ॉर्म पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इस पहल के लिए INFLIBNET को कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। केंद्र सरकार ने 30 अलग-अलग प्रकाशकों में से प्रत्येक के लिए एक मेंबरशिप प्राइस पर बातचीत की और तीन सालों- 2025, 2026 और 2027 के लिए 6,000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए।
क्या हैं ONOS के फायदे?
यह लगभग 6,300 सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, रिसर्च इंस्टीट्यूट और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों (INI) के लगभग 1.8 करोड़ छात्रों, शिक्षकों और रिसर्चर्स के लिए 55 लाख रुपये की पत्रिकाओं तक पहुंच का विस्तार करेगा, जिनमें टियर 2 और टियर 3 शहर भी शामिल हैं।
इससे विभिन्न पुस्तकालय संघों और उच्च शिक्षा संस्थानों में जर्नल मेंबरशिप के दोहराव से बचा जा सकेगा और संसाधनों पर अतिरिक्त व्यय को कम किया जा सकेगा। सभी केंद्रीय और राज्य सरकार के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक ही मेंबरशिप से पब्लिशर्स के साथ बातचीत करते समय बेहतर डील की जा सकेगी। चौथा, केंद्र को इस बात की जानकारी मिलेगी कि सरकारी उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा किस हद तक जर्नल्स तक पहुंच बनाई जा रही है और उन्हें कैसे डाउनलोड किया जा रहा है।
One Nation One Subscription के पीछे क्या है कॉन्सेप्ट?
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 से शुरू हुई है, जिसमें शिक्षा और राष्ट्रीय विकास में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए रिसर्च को आधार बताया गया है। 2022 में, केंद्र सरकार ने प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर की अध्यक्षता में सचिवों की एक कोर समिति बनाकर इस लक्ष्य की ओर एक ठोस कदम उठाया। इस समिति ने फिर ONOS पहल के लिए जर्नल प्रकाशकों के साथ मज़बूत बातचीत करने के लिए एक पैनल का गठन किया। इस साल की शुरुआत में अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) की स्थापना की गई।
अगला कदम केंद्र सरकार द्वारा जर्नल प्रकाशकों के साथ आर्टिकल प्रोसेसिंग शुल्क (APC) पर बातचीत करना है। APC, जिसे प्रकाशन शुल्क के रूप में भी जाना जाता है, वह शुल्क है जो लेखकों को कुछ पत्रिकाओं में प्रकाशित करने के लिए देना होता है। ओपन-एक्सेस जर्नल आमतौर पर आर्टिकल प्रोसेसिंग के लिए एक विशिष्ट शुल्क लेते हैं, जिसे APC के रूप में जाना जाता है। Budget में शिक्षा क्षेत्र को मिला 1.48 लाख करोड़, हायर एजुकेशन के लिए 10 लाख तक का लोन देगी मोदी सरकार, पढ़ें पूरी खबर