डिजिटल इंडिया के दौर में बैंकिंग बेहद सरल हो गई है। अंगुलियों के क्लिक्स पर लेन-देन हो रहा है। पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बैंक बेशक तमाम सुविधाएं दे रहे हों, लेकिन डाकघर में खाता रखना आज भी बैंकों के मुकाबले अधिक फायदेमंद है। डाकघर में खाता चलाना सरल है। यह अन्य बैंकों के खाते जैसा ही है, लेकिन लाभ उससे कहीं ज्यादा हैं। यही कारण है कि आज भी देश के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोग इनमें खाते खुलवाना पसंद करते हैं।

निर्धारित दर पर मिलता है ब्याज
डाकघर में जमा की गई रकम पर पूर्व निधार्रित दरों के हिसाब से ब्याज मिलता है। यहां न्यूतम पांच साल के लिए रीकरिंग डिपॉजिट (आरडी) खुलता है, जिस पर फिलहाल आठ फीसद ब्याज मिल रहा है। यह ब्याज त्रैमासिक मिलता है। आरडी मैच्योर होने तक उसकी ब्याज दर उतनी ही रहती है, जितनी पर वह शुरू किया गया था। जबकि, बैंकों में ऐसा नहीं होता। बैंक समय-दर-समय अपनी ब्याज दरें बदलते रहते हैं।

FD के मामले में भी है लाभकारी
खास बात यह है कि जरूरत पर डाकघर से आरडी में निवेश की गई आधी रकम निकाली जा सकती है। फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की बात करें, तो डाकघर में इस पर 6.25 फीसदी से 7.5 फीसदी तक ब्याज मिलता है। बैंक में यह दर 3.75 से 7.25 तक जाती है। चूंकि डाकघर के खातों में ब्याज पूर्व निधारित दरों पर मिलता है, लिहाजा इसमें ज्यादा जोखिम नहीं होता।

बैंकों से कम वक्त में पैसे होते हैं दोगुणे
डाकघर के खाते में बैंक खाते से कम वक्त में पैसा दोगुणा होता है। यहां बैंक के मुकाबले दो साल कम वक्त में रकम दोगुणी होती है। उदाहरण के तौर पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में 6-10 साल की एफडी पर करीब 6 फीसदी ब्याज है। यानी 12 साल में एक लाख रुपए की एफडी की रकम दो लाख से कुछ ज्यादा होगी। वहीं, डाकघर में पांच साल की टाइम डिपॉजिट (टीडी) पर 7.6 फीसदी ब्याज है। टीडी एक बार में पांच साल के लिए होता है। ब्याज के साथ मिली रकम दोबारा टीडी कराने पर 10 साल में वह दोगुणा से अधिक हो जाता है।

ये भी हैं रकम दोगुणी करने के तरीके
टाइम डिपॉजिट के अलावा यहां रकम दोगुणी करने के और भी तरीके हैं। डाकघर में किसान विकास पत्र (केवीपी) नाम की स्कीम के तहत 9 साल और 7 महीने में रुपए दोगुणे होते हैं। जमा की गई रकम जरूरत के हिसाब से ढाई साल के बाद निकाली भी जा सकती है।

ये खाते खोले जा सकते हैं डाक घर में-
– सेविंग्स बैंक (SB)
– रीकरिंग डिपॉजिट (RD)
– टाइम डिपॉजिट (TD)
– मंथली इनकम स्कीम (MIS)
– पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
– नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC)
– सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS)
– किसान विकास पत्र (KVP)
– सुकन्या समृद्धि खाता