भारतीय रेलवे जल्द ही देशभर में यात्रियों को हवा से बना पानी महज 5 रुपए प्रति लीटर में मुहैया कराएगी। हाल ही में सिकंदराबाद स्टेशन पर रेलवे ने अपनी पहली ‘मेघदूत’ मशीन शुरू की। यह मशीन दक्षिण-मध्य रेलवे के ग्रीन इनीशिएटिव के तहत लगाई गई है। इसकी तकनीक मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत मैत्री एक्वाटेक ने विकसित की है।
बताया गया है कि यह मशीन एक दिन में 1000 लीटर पानी बना लेती है। इसकी स्टोरेज टैंक फूड ग्रेड स्टेनलेस स्टील की बनी है। इससे पानी कई दिनों तक ताजा और पीने लायक बना रहता है। इस सिस्टम को सुरक्षा और स्वच्छता में जलशक्ति मंत्रालय की तरफ मंजूरी मिली है। अफसरों का कहना है कि यह मशीन पर्यावरण के अनुरूप है और किसी भी तरह से पानी पैदा करने के लिए जल संसाधनों का इस्तेमाल नहीं करती। इसके साथ ही मशीन कोई वेस्ट भी नहीं छोड़ती और सभी मौसम में काम करती है।
कैसे हवा को पानी में बदलती है मेघदूत?
- मशीन हवा को अपने अंदर खिंचती है और इसका सिस्टम हवा में मौजूद नमी से सारे दूषित पदार्थ हटा लेता है।
- यह फिल्टर हवा मशीन के कूलिंग चैंबर में पहुंचती है, जहां इसका वैज्ञानिक प्रक्रिया से कंडनसेशन (संघनन) होता है। यह हवा कंडेस होने के बाद पानी में बदल जाती है और स्टील के स्टोरेज टैंक में भरती है।
- पानी स्टोरेज टैंक में कई स्तर पर फिल्टर होता है। इससे किसी भी तरह की गंध हटाई जाती है। इसके बाद छोटे-छोटे जीवाश्म खत्म करने के लिए इसे यूवी (अल्ट्रा वॉयलट सिस्टम) से गुजारा जाता है।
- आखिर में पानी में जरूरी खनिज मिलते हैं और फिल्टर पानी मशीन की स्टोरेज टैंक में पहुंच जाता है। फिलहाल इस पानी की कीमत 5 रुपए रखी गई है। बोतल में यात्री इसे 8 रुपए में खरीद सकते हैं।
