कोरोना संकट के चलते नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन (एनटीसी) ने कर्मचारियों के वेतन पर कैंची चलाई है। एनटीसी के प्रबंधन में काम करने वाले करीब 7,200 मिल वर्कर्स के वेतन में 60 फीसदी तक की कटौती की गई है। मार्च में लॉकाडाउन लगाए जाने के बाद से ही इन कर्मियों की सैलरी में कटौती जारी है। वेतन में लगातार हो रही कटौती से परेशान आकर इन कर्मियों ने इसे लेकर प्रधान मंत्री कार्यालय, श्रम मंत्रालय और कपड़ा सचिव को पत्र भी लिखा है।
कर्मियों ने पत्र में कहा है कि उन्हें जून महीने के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। अप्रैल में 60 फीसदी और मई में सिर्फ 40 फीसदी सैलरी ही खातों में ट्रांसफर की गई है। सैलरी कटौती और फिर जून महीने की सैलरी ने मिल पाने से रोजमर्रा के खर्चों को चलाना मुश्किल हो रहा है।
नेशनल हेराल्ड में छपी एक खबर के मुताबिक टेक्सटाइल इम्पलाइज यूनियन (इनटक) के महासचिव फूल सिंह यादव ने इस पर कहा है कि मार्च में कर्मियों को सिर्फ उतने ही दिन की सैलरी का भुगतान किया गया जितने दिन उन्होंने काम किया। कमागरों का औसत वेतन 8 हजार रुपये है लेकिन सरकार की तरफ से 3200 रुपये ही सैलरी दी जा रही है। ऐसे में परिवार चलाना बेहद ही मुश्किल है।’
मालूम हो कि कोरोना संकट के इस दौर में करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और लगभग 61 लाख पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते यानी डीए में अगले डेढ़ वर्ष तक पुरानी दरों पर ही रोके रखने का फैसला लिया गया है। केंद्र की राह पर चलते हुए राज्य सरकारें भी यही फैसला ले रही हैं। अब मंगलवार को हरियाणा सरकार ने फैसला लिया है कि कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते में अगले साल तक बढ़ोतरी नहीं होगी।