अदालत ने एक व्यक्ति को 30 वर्षीय महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और उसे धमकाने के आरोपों से मुक्त करते हुए कहा कि दोनों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने और महिला यह समझने में काफी परिपक्व थी कि क्या हुआ है। अदालत ने यह भी कहा कि केंद्रीय सरकारी अस्पताल में दंतचिकित्सक महिला ने एक बार गर्भपात भी करवाया था। हालांकि उन्होंने फिर से गर्भधारण किया यह जानते हुए भी कि दूसरे गर्भपात से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन ने कहा, “तथ्य और हालात दिखाते हैं कि सहमति से शारीरिक संबंध बना और महिला ने तथ्यों की गलतफहमी में सहमति नहीं दी। वह यह समझने के लिए परिपक्व थीं कि दोनों के बीच क्या हो रहा है।” न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि दोनों की मुलाकात मेट्रिमोनियल साइट के जरिए हुई थी और महिला के परिवार ने उनके संबंधों को स्वीकृति दी थी, व्यक्ति की मां ने नहीं दी थी। उन्होंने कहा, “उनकी मुलाकात मेट्रिमोनियल साइट के जरिए हुई। उन्होंने शादी के लिए अपने परिवार से संपर्क भी किया…आरोपी की मां ने याचिकाकर्ता को ठुकरा दिया। याचिकाकर्ता की आरोपी में दिलचस्पी थी और जानती थी कि उनकी शादी उसकी मां के विरोध के कारण निश्चित नहीं है।”

न्यायाधीश ने कहा, “शादी पर जोर दिए बिना वह शारीरिक संबंध के लिए राजी हो गयी और गर्भवती हो गयी हालांकि उसे पूरी तरह पता था कि दूसरे गर्भपात से उसका स्वास्थ्य बिगड़ेगा।” अदालत ने आगे कहा कि उनके मैसेज और चैट से ऐसा नहीं लगता कि यौन संबंध से पहले कोई धोखेबाजी हुयी। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए मैं आरोपी फरमान खालिद को संदेह का लाभ देते हुए आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) और 506 (धमकाने) के तहत दंडनीय अपराधों से आरोपमुक्त करता हूं।”