पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर का आज 70वां जन्मदिन है। लिटिल मास्टर के नाम से मशहूर इस दिग्गज बल्लेबाज ने क्रिकेट के मैदान पर ढेरों रिकॉर्ड बनाए हैं। गावस्कर ने भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में 35 शतक लगाए हैं। इतना ही नहीं टेस्ट क्रिकेट में 9 हजार और 10 हजार रन पूरे करने वाले वे पहले भारतीय खिलाड़ी भी हैं। लेकिन आज गावस्कर जो भी हैं वो उनके चाचा नारायण मौसेरकर की वजह से हैं। गावस्कर के साथ बचपन में कुछ ऐसा घटा था जिसके बाद शायद गावस्कर क्रिकेटर नहीं मछुवारे होते।

दरअसल गावसकर का जन्म 10 जुलाई 1949 को हुआ था। जन्म के बाद उनसे मिलने बहुत से रिश्तेदार और परिजन अस्पताल पहुंचे। उनमें से एक उनके चाचा नारायण मौसेरकर भी थे। चाचा दूसरे दिन भी अपने भतीजे को देखने अस्पताल पहुंचे। लेकिन इस बार उन्हें अपनी भतीजा कुछ अलग लगा। चाचा ने पहले दिन पहले भतीजे के कान के पीछे एक छोटा सा छेद देखा था। लेकिन आज जिस बच्चे को चाचा खिला रहे थे उसके कान के पीछे छेद नहीं था। इसके बाद चाचा ने डॉक्टरों से बात की। अस्पताल प्रबंधन ने पहले इस बात को मानाने से इंकार कर दिया। लेकिन जब चाचा ने बच्चे के कान के पीछे छोटे छेद का जिक्र किया तो अस्पताल स्टाफ के लोग सुनील को ढूंढने लगे।

बाद में सुनील एक दूसरे कमरे में मिले। मामले की पड़ताल के बाद पता चला कि नर्स की गलती से सनी को एक मछुआरे की पत्नी के पास सुला दिया गया था और उनका बच्चा गावस्कर परिवार के पास चला गया था। अगर चाचा की नज़रें बच्चे पर नहीं पड़ती तो आज गावस्कर की किस्मत कुछ और होती और शायद ही वे क्रिकेटर होते। गावसकर ने इस बात का जिक्र अपनी किताब सनी डेज में भी किया है। गावसकर क्रिकेट के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने भारत के लिए खेलते हुए 125 मैचों में 244 पारी खेलते हुए 10122 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 35 शतकों के अलावा 45 अर्धशतक भी लगाए हैं।