खरगोन में हुई हिंसा के बाद आरोपियों के घर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया था। जिसमें कई घर, दुकानें टूट गई थीं। इसमें एक पीएम आवास के तहत बना घर भी शामिल था। इसके बाद एक दिव्यांग व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और दावा किया जा रहा है कि प्रशासन ने इस दिव्यांग को पत्थरबाज मानकर इनकी दुकान तोड़ दी लेकिन अब कुछ और ही सच्चाई सामने आई है।
क्या किया था दावा?: दिव्यांग वसीम ने एक वीडियो में बताया था कि ‘प्रशासन द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई में, उनकी एक दुकान थी, उसे भी तोड़ दिया गया था।’ वसीम ने बताया कि वह दिव्यांग हैं। दुकान से रोजी रोटी चलती थी उसे भो तोड़ दिया गया। वासीन के दोनों हाथ नहीं है, एक हादसे में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे।
प्रशासन ने नहीं तोड़ी दुकान: वसीम का वीडियो वायरल हुआ तो सोशल मीडिया पर लोग सरकार को घेरने लगे। लोगों ने कहा कि एक दिव्यांग व्यक्ति को सरकार/प्रशासन पत्थरबाज बनाकर उसकी दुकान तोड़ दी। लेकिन अब वसीम का एक और वीडियो सामने आया है जिसमें वसीम कह रहे हैं कि उनकी दुकान को नहीं तोड़ा गया और ना ही उनके घर पर बुलडोजर चला है।
वसीम वीडियो में कहते हैं कि ‘झूठी अफवाहों से सावधान रहें हैं। मेरे घर और गुमटी (दुकान) पर बुलडोजर नहीं चला है। शहर में शांति रखें। मेरे लिए दुआ करें और अपने लिए भी दुआ करें।’ वहीं प्रशासन का कहना है कि ‘इनकी गुमटी (दुकान) कार्रवाई में नहीं टूटी है। उसमें सामान भी नहीं था। झूठ अफवाह ना फैलाएं वरना कार्रवाई हो सकती है।’
लोगों की प्रतिक्रियाएं: निखिल गौड़ नाम के यूजर ने लिखा कि ‘एक गरीब आदमी को डरा धमकाकर प्रशासन अपनी नाजायज कार्यवाही को जायज ठहरा रही है। आदमी की गुमटी भले ही इलीगल होगी पर बिना किसी नोटिस के प्रशासन ऐसे कैसे कोई भी कार्यवाही कर सकता है?’ श्रीनिवास नाम के यूजर ने लिखा कि ‘सरकार की धमकी है क्या करेगा गरीब?’
एक यूजर ने लिखा कि ‘कलेक्टर मैडम, सीधे लफ्जों में धमकाना इसे ही कहते हैं। एक गरीब को इंसाफ दिलाने के बजाय डरा धमका कर वीडियो बना रहे हो।’ मानव नाम के यूजर ने लिखा कि ‘अब तो इसको परमानेंट जेल में डालो, जब तक ये यह ना बताए कि किसके बहकावे में इसने पूरे मध्यप्रदेश की पुलिस के सम्मान को गिराने का प्रयास किया और इसपर कमसे कम 786 करोड़ रुपए की मानहानि का केस करो।’