आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता आशुतोष ने गरीब सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण पर ऐसा कमेंट किया कि टि्वटर यूजर्स उन्हें ट्रोल करने लगे। दरअसल, आशुतोष ने ट्वीट किया, “जैसे ही सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण मिला मेरिट की बात होनी बंद हो गयी। जब दलितों पिछड़ों को आरक्षण मिला तो सारे सवर्ण पत्रकारों, बुद्धजीवियों ने सिर आसमान पर उठा लिया था कि देश तबाह हो जायेगा। मेरिट मेरिट मेरिट रटते थे। अब कहते है ऐतिहासिक।” उनके इस ट्वीट के बाद यूजर्स ने उन्हें निशाना बनाते हुए कई ट्वीट किए। किसी ने कहा कि आर्थिक आधार पर मिला है, जात के नाम पर नहीं तो किसी ने कहा कि सवर्ण बोल बेवकूफ मत बनाइए, सामान्य बोलिए।
एक यूजर ने लिखा, “सवर्ण बोल कर बेवकूफ मत बनाइये सामान्य बोलिये। सवर्ण बोलने से लोग सिर्फ ब्राह्मण,राजपूत और वैश्य समझते हैं।”
सवर्ण बोल कर बेवकूफ मत बनाइये सामान्य बोलिये।
सवर्ण बोलने से लोग सिर्फ ब्राह्मण,राजपूत और वैश्य समझते हैं।— Vivek Pandey ( अगस्त्य ) (@pandeyvivek007) January 20, 2019
एक अन्य यूजर ने लिखा, “काश सवर्णो में भी कोई कांशीराम जैसा नेता होता, तो आपको जवाब मिल जाता।”
काश सवर्णो में भी कोई कांशीराम जैसा नेता होता।तो आपको जवाब मिल जाता
— deepak (@drdeepak1382) January 20, 2019
यशलोक सिंह नामक यूजर लिखते हैं, “मेरिट पर आरक्षण! कहां से लाते हो ऐसा अद्भुत ज्ञान आशुतोष जी।”
मेरिट पर आरक्षण! कहाँ से लाते हो ऐसा अद्भुत ज्ञान आशुतोष जी।
— Yashlok singh (@YashlokS) January 20, 2019
विकास तिवारी लिखते हैं, “सर जी आरक्षण का विरोध कभी नही हुआ, केवल जाति आधारित आरक्षण का विरोध होता आया है और होगा।”
सर जी आरक्षण का विरोध कभी नही हुआ केवल जाती आधारित आरक्षण का विरोध होता आया है और होगा
— Vikas Tiwari (@vikasdu4693) January 20, 2019
राहुल उपाध्याय लिखते हैं, “सर,आप को इस उम्र में कोई आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। हां, अगर चुनाव जीते होते, तो पेंशन की उम्मीद तो रख सकते थे।”
सर,आप को इस उम्र में कोई आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता।हाँ, अगर चुनाव जीते होते,तो पेंशन की उम्मीद तो रख सकते थे।
— राहुल उपाध्याय (@Rahul0427111) January 20, 2019
बता दें कि सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का संवैधानिक प्रावधान प्रभाव में आ गया है। इस बाबत सरकारी अधिसूचना जारी कर दी गयी। अधिनियम में संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 का संशोधन किया गया है और एक उपबंध जोड़ा गया है जो राज्यों को ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी वर्ग के नागरिकों के उत्थान के लिए विशेष प्रावधान’’ बनाने का अधिकार देता है। ‘विशेष प्रावधान’ अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को छोड़कर अन्य निजी संस्थानों समेत शिक्षण संस्थानों में प्रवेश से जुड़ा है। इनमें सरकारी सहायता प्राप्त और गैर सरकारी सहायता प्राप्त संस्थान शामिल हैं।
विधेयक के उद्देश्यों के अनुसार, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 46 में उल्लेखित राज्य के नीतिनिर्देशक सिद्धांतों के अनुसार सरकार नागरिकों के कमजोर वर्गों, खासकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक एवं आर्थिक हितों को विशेष सतर्कता के साथ प्रोत्साहित करेगी और उन्हें सामाजिक अन्याय तथा हर तरह के उत्पीड़न से बचाएगी।’’ इसमें कहा गया है कि इसे ध्यान में रखते हुए कि नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उच्च शिक्षा पाने तथा सरकारी सेवाओं में रोजगार में भागीदारी का उचित अवसर मिले, भारत के संविधान में संशोधन का फैसला किया गया है। (एजेंसी इनपुट के साथ)

