विगत 13 सितंबर को बकरीद के दिन बांग्लादेश की राजधानी ढाका में तेज बारिश हो रही थी, सड़कें पानी से लबालब भरी हुई थीं। कुर्बानी के बाद जानवारों का खून पानी में मिल जाने से ढ़ाका की सड़कें ऐसी लग रहीं थीं जैसे शहर में खून की बाढ़ आ गई हो। लोगों ने इस नजारे को अपने कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया और कुछ ही देर में ये तस्वीरें वायरल हो गईं। दुनिया भर की मीडिया ने इसको कवर किया, अखबारों ने खबरें प्रकाशित की। इस घटना के कुछ दिन बाद ढ़ाका की लाल दिख रहीं सड़कों की तस्वीरों को फोटोशॉप से बदलकर झूठा साबित करने की कोशिश की जाने लगी। लोगों को लगा की शायद सच में तस्वीरों को फोटोशॉप के जरिये इतना भयावह बनाया गया था। लेकिन बाद में क्रॉस चेक किए जाने पर पता चला की ढ़ाका में बकरीद के दिन खून से लाल सड़कों की तस्वीरें सौ फीसदी सच्ची थीं।

उस दिन बारिश तेज होने के कारण लोगों ने कुर्बानी के लिए निर्धारित स्थान की बजाए अपने घरों और आंगन में ही कुर्बानी दे दी इस वजह से जानवरों का खून बारिश के पानी में मिल गया और सड़कें लाल हो गईं। दरअसल, सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों को झूठा साबित करने के लिए दोबारा से जो तस्वीरें पोस्ट की गईं थी वो फोटोशॉप्ड थीं। यदि इन तस्वीरों को ध्यान से देखें तो पता चलता है कि कैसे फोटोशॉप पर एडिटिंग के बाद सड़कों पर दिख रहे लाल पानी के साथ साथ दुकानों के पोस्टर, होर्डिंग्स और लोग भी हरे नजर आ रहे हैं।

बांग्लादेशी चैनल ‘बांग्ला विजन’ ने ढाका की सड़कों पर बहते खून की ना सिर्फ तस्वीरें दिखाईं, बल्कि ये भी बताया कि ढाका के सिटी कॉरपोरेशन द्वारा किए गए इंतज़ामों में कमी थी। जिसकी वजह से बारिश का पानी और जानवरों का खून आपस में मिल गया, जिससे सड़कों पर जानवरों का खून बहने लगा। इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि ईद के दिन सुबह के वक्त, जब जानवरों की कुर्बानी दी जा रही थी, तब ढाका में बारिश हो रही थी। ढाका के लोग, प्रशासन द्वारा तय किए गए जगहों पर कुर्बानी देने की बजाए, अपने घरों के सामने और सड़कों पर ही कुर्बानी देने लगे, जिससे बारिश का पानी और जानवरों का खून आपस में मिल गया और ढाका के शांतिनगर इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए।

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 वीडियो में देखें बकरीद के दिन ढाका की सड़कों का सच: