बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी द्वारा ‘डियर’ के संबोधन को लेकर टि्वटर पर हुई बहस के बाद 15 जून को मानव संसाधन विकास मंत्री ने एक फेसबुक पोस्‍ट लिखा। लंबे मैसेज में उन्‍होंने महिलाओं की स्‍थ‍िति का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से महिलाओं को आवाज नहीं उठाने नहीं दिया जाता, भले ही वे हालात को लेकर सहज न हों। स्‍मृति ने इस पोस्‍ट के आखिर में खुद के लिए ‘आंटी नेशनल’ भी लिखा। बता दें कि कुछ वक्‍त पहले एक अखबार ने स्‍मृति के लिए इस हेडलाइन का इस्‍तेमाल किया था। इसके बाद टि्वटर पर तीखी बहस छिड़ी थी। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे आपत्‍त‍िजनक कमेंट माना था।

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अपने बेहद लंबे संदेश में स्‍मृति ने लिखा है कि वे एक मध्‍यमवर्गीय परिवार में पैदा हुईं थीं। जहां अगर कोई लड़का कुछ कह भी दे तो चुपचाप सिर झुका कर आगे बढ़ जाने की हिदायत दी जाती है। उन्‍होंने लिखा, “जवाब क्‍यों ना दिया जाए? हम क्‍यों अपना मुंह सिल लें? ऐसे सवाल का सीधा सा जवाब है- नुकसान तुम्‍हारा होगा, लड़के का कुछ नहीं बिगड़ेगा।” स्‍मृृति ने अपना उदाहरण देते हुए देश की कामकाजी महिलाओं से सहानु‍भूति जताई है। अपनी पोस्‍ट के आखिर में उन्‍होंने बतौर एचआरडी मिनिस्‍टर अपनी उपलब्धियों का ब्‍यौरा दिया है।

पोस्‍ट को लिखे 24 घंटे भी नहीं हुए कि गुरुवार शाम तक इसे 3000 लोगों ने शेयर किया जबकि 7000 से ज्‍यादा बार लाइक किया गया। आश्‍चर्यजनक यह रहा कि स्‍मृति के पोस्‍ट पर प्रतिक्रिया देने में महिलाओं से आगे पुरुष रहे।

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