राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को क्रिसमस के मौके पर राष्ट्र को बधाई दी। कोविंद ने ट्वीट कर कहा, “सभी साथी नागरिकों को विशेष रूप से ईसाई भाइयों एवं बहनों को क्रिसमस की बधाई। यह त्योहार परिवार और समाज में खुशियां लेकर आए।” इस मौके पर नायडू ने ट्वीट कर कहा, “क्रिसमस के इस पावन अवसर पर नागरिकों को बधाई। यह त्योहार करुणा और क्षमा के मूल्यों में हमारे विश्वास को बढ़ाता है और ईसा मसीह की मानवता की सीख की तसदीक करता है। यह त्योहार आपके जीवन में शांति, सौहार्द और खुशियां लेकर आए।” मोदी ने भी इस अवसर पर ट्वीट कर कहा, “सभी को क्रिसमस की बधाई। हमें ईसा मसीह की शिक्षाएं याद हैं।” कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर कहा, “सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं। यह त्योहार खुशी, प्यार और गर्मजोशी से भरा हो।” ईसा मसीह का जन्मदिन 25 दिसंबर को हुआ था और इसलिए हर साल इसी दिन क्रिसमस मनाया जाता है।

पोप फ्रांसिस ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर दुनिया की 1.30 अरब कैथौलिक आबादी से शरणार्थियों की दर्दुशा नजरअंदाज नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा कि खून-खराबा पसंद करने वाले नेताओं की वजह कर उन्हें अपनी सरजमीन छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। पोप ने सेंट पीटर्स बैसिलिका में श्रद्धालुओं से कहा कि जोसेफ और मेरी के कदमों के नीचे कई लोगों के कदमों के निशान छुपे हैं। वह खुद इतालवी प्रवासी के पोते हैं। उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि लाखों लोग अपने प्रियजन और अपनी धरती छोड़ कर खुद से दूर नहीं गए बल्कि उन्हें वहां से भगाया गया।

81 साल के पोप ने क्रिसमस के मौके पर कहा कि कई सारे मौजूदा शरणार्थी संकट में घिरे हुए हैं जिन्हें उनके नेताओं की वजह से भागना पड़ा जो अपनी सत्ता स्थापित करना चाहते हैं और अपनी संपत्ति में इजाफा करना चाहते हैं। उन्हें मासूमों का खून बहाने से भी गुरेज नहीं है। वह आज क्रिसमस के मौके पर पारंपरिक ‘उरबी एत ओरबी’ संबोधन देंगे। पोप ने ‘उम्मीद’ का आग्रह ऐसे समय में किया है जब यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिका के कदम से पश्चिमी तट में तनाव बना हुआ है।

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