रंगभेद के खिलाफ 67 वर्षों तक आंदोलन करने वाले और 27 वर्षों तक कारागार में उम्रकैद की सजा भुगतने के बाद दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बनने वाले महान नेल्शन मंडेला का आज (18 जुलाई) को जन्म दिन है। संयुक्त राष्ट्र ने 2009 में मंडेला के संघर्ष और कार्य को देखते हुए सम्मान स्वरूप उनके जन्मदिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय मंडेला दिवस’ घोषित किया था। मंडेला की जीवन में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गहरी छाप थी, वह भी गांधी के सत्य और अहिंसा के मार्ग का पालन करते रहे और इसी वजह से उन्हें दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रपिता, लोकतन्त्र का प्रथम संस्थापक, राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता के तौर पर देखा जाता है। 1994 में जब मंडेला को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला तो उन्होंने दावा किया था कि उनकी सफलता के लिए महात्मा गांधी को श्रेय जाता है। उन्होंने कहा था कि ”भारत महात्मा गांधी का जन्म का देश है, दक्षिण अफ्रीका उनका गोद लिया हुआ देश है।” महात्मा गांधी को अपना रोल मॉडल मानने वाले मंडेला केवल उन्हीं से प्रभावित नहीं थे, और भी कई भारतीयों ने उनके भीतर प्रेरणा भरने का काम किया, जिसका जिक्र मंडेला ने खुद किया।

अंग्रेजों के शासन के दौरान दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों का ही पहला समूह पहला था जिसनें राजनीतिक स्तर पर ब्रिटिश सरकार की जनविरोधी नीतियों से लोहा लिया था। इन लोगों में 5 साल के एंग्रीमेंट पर काम करने वाले भारतीय मजदूर थे। महात्मा गांधी 1893 में से दक्षिण अफ्रीका में थे और उनके नेतृत्व में भारतीय मजदूरों ने अंग्रेजी सरकार की अनुचित नीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उसी वक्त मंडेला ने राजनीति में कदम रखा था। वह दक्षिण अफ्रीका में राजनीतिक तौर पर सक्रिय कई भारतीय समुदायों के संपर्क में सहज ही थे। उन्होंने अपनी जीवनी में लिखा, ”लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम”, इस प्रकरण में उन्होंने भारतीयों से सीखे गए सबकों की लंबाई पर बात की। इसमें
मंडेला ने इस्माइल मीर, जेएन सिंह, रामलाल भुलिया और अहमद भुलिया के साथ अपनी बातचीत को याद किया जो जोहान्सबर्ग में उनके साथ पढ़ रहे थे। वे मंडिला के घर अक्सर प्रेरणादायक चर्चाएं करने आते थे।

मंडेला ने इन मित्रों के प्रभाव में विशाल राजनीतिक परिवर्तन को याद किया। खासकर, भारतीय छात्रों के साथ नाता जोड़ने पर उन्होंने नस्लीय सीमाओं में राजनीतिक संघर्षों की एकजुटता महसूस की। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा था, ”मुझे पहली बार पता चला कि मेरे हम उम्र लोग दृढ़ता से आजादी के संघर्ष में जुड़े है, जो उनके सापेक्ष विशेषाधिकारों के बावजूद पीड़ितों के लिए खुद बलिदान करने के लिए तैयार थे।”

इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका में बुनियादी मानवाधिकारों और नागरिकता अधिकारों के लिए अहम योगदान देने वाले अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के नेता डॉक्टर जुमा के साथ साथ नटाल इंडियन कांग्रेस के नेता डॉक्टर यूसुफ दादू, ट्रांसवाल इंडियन कांग्रेस के नेता डॉक्टर जीएम नाइकर के बारे में मंडेला ने लिखा। यह तिकड़ी ”थ्री डॉक्टर्स पैक्ट” के नाम से मशहूर थी जो कि मार्च 1947 में अस्तित्व में आई थी। जवाहर लाल नेहरू से भी मंडेला प्रभावित थे। नेहरू को मंडेला ”हीरो” मानते थे। जेल में रहने के दौरान को उन्होंने अपने लेखन, पाठन और अनुशासन को बनाए रखने के लिए नेहरू के संदर्भों को श्रेय दिया। वह नेहरू की आत्मकथा और उनके भारत को एकजुट रखने के उद्देश्य से खासे प्रभावित थे। राष्ट्रवाद पर विचारों के अलावा उन्होंने समाजवाद और राज्य आधुनिकीकरण पर भी नेहरू के विचारों से प्रेरणा ली।