Lev Landau Google Doodle: लेव लैंडौ एक सोवियत भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने 20 वीं शताब्दी के दौरान भौतिकी में महत्वपूर्ण खोज की। 1908 में आज ही के दिन बाकू, अजरबैजान में जन्मे, लैंडौ गणित और विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रतिभाशाली बच्चे थे। उन्होंने 13 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई पूरी की और अपने सहपाठियों से बहुत पहले कॉलेज शुरू करने के लिए तैयार थे, जिन्होंने लेव लैंडौ को स्कूल में “शांत, शर्मीला लड़का” बताया। उनके पिता एक तेल फर्म के इंजीनियर थे और उनकी मां एक डॉक्टर थीं।
बाद में, वह 1924 में लेनिनग्राद विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में चले गए, जहां उनका पहला शोधपत्र, द थ्योरी ऑफ द स्पेक्ट्रा ऑफ डायटॉमिक मॉलिक्यूल्स में पहले ही प्रिंट में था, जब वह सिर्फ 18 साल के थे। 21 वर्ष की आयु में अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद लैंडौ को एक रॉकफेलर फेलोशिप और एक सोवियत वजीफा मिला, जिसने उन्हें ज्यूरिख, कैम्ब्रिज और कोपेनहेगन में रिसर्च सुविधाओं का दौरा करने की अनुमति दी, जहां उन्हें नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोर के साथ अध्ययन करने का मौका मिला। क्वांटम सिद्धांत में अपने काम के लिए प्रसिद्ध, बोर ने उनके दिमाग पर गहरा प्रभाव डाला।

Highlights
लैंडौ का पहला शोधपत्र, द थ्योरी ऑफ द स्पेक्ट्रा ऑफ डायटॉमिक मॉलिक्यूल्स में पहले ही प्रिंट में था, जब वह सिर्फ 18 साल के थे।
लैंडौ का जन्म 22 जनवरी 1908 में अज़रबैजन के बाकू में हुआ था। थ्योरेटिकल फिज़िक्स में उन्होंने कई मौलिक योगदान दिया है। सुपरफ्लूइड पर मैथमेटिकल थ्योरी की खोज करने के लिये उन्हें नोबल पुरस्कार भी दिया गया था।
लेव लैंडौ ने बाकू स्टैट यूनिवर्सिटी में एक साथ दो-दो विभागों में काम किया था। यहां उन्होंने सेकंड ऑर्डर फेज ट्रैन्जिशन्स, गिंजबर्ग-लैन्डाउ थिअरी ऑफ सुपरकंडक्टिविटी, थिअरी ऑफ फर्मी लिक्विड जैसी कई थ्योरी और आविष्कार शामिल हैं।
लेव लैंडौ को 1962 में अत्यंत कम तापमान पर तरल हीलियम के व्यवहार के अनुसंधान के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
लेव लैंडौ को नोबेल पुरस्कार के अलावा कई और पुरस्कारों से नवाजा गया था, जिनमें स्टालिन पुरस्कार, मैक्स प्लैंक मेडल जैसे सम्मान भी शामिल हैं।
लेव लैंडो ने डेन्सिटी मैट्रिक्स मेथड, थ्योरी ऑफ सेकंड ऑर्डर फेज ट्रैन्जिशन, थ्योरी ऑफ फर्मी लिक्विड की खोज की थी।
सुपरफ्लूइड पर मैथमेटिकल थ्योरी की खोज करने के लिये लेव लैंडौ को नोबल पुरस्कार दिया गया था।
21 वर्ष की आयु में अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद लैंडौ को ज्यूरिख, कैम्ब्रिज और कोपेनहेगन में रिसर्च सुविधाओं का दौरा करने की अनुमति मिली। यहां उन्हें नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोर के साथ पढ़ने का मौका मिला।
स्कूल में बाकी बच्चों के मुकाबले वो इनमें सबसे आगे थे। उनके पिता ऑयल कंपनी में इंजीनियर और मां डॉक्टर थीं। वो बचपन से ही बहुत शांत और शर्मीले स्वभाव के थे।
लेव लैंडौ (Lev Landau) को 1962 में अत्यंत कम तापमान पर तरल हीलियम के व्यवहार के अनुसंधान के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। जिसके बाद वो दुनिया की नजर में आए और काफी प्रसिद्ध हुए।
1908 में जन्में लेव लैंडौ (Lev Landau) का निधन 1 अप्रैल 1968 को रूस के मॉस्को में हुआ।
फेलोशिप मिलने के बाद उन्हें ज्यूरिख, कैंब्रिज और कोपेनहेगन में रिसर्च फैसिलिटी देखने का मौका मिला। सोवियत उन्हें स्टाइपेंड भी देती थी। नोबेल अवॉर्ड हासिल करने वाले नील्स बोर के साथ पढ़ाई करने का मौका मिला।
लेव लैंडौ ने थियोरी ऑफ सेकंड ऑर्डर फेज ट्रैन्जिशन, थियोरी ऑफ फर्मी लिक्विड और डेन्सिटी मैट्रिक्स मेथड की खोज की थी।
लेव लांडाउ (Lev Landau) को 1962 में अत्यंत कम तापमान पर तरल हीलियम के व्यवहार के अनुसंधान के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। जिसके बाद वो दुनिया की नजर में आए और काफी प्रसिद्ध हुए।
उनके व्यापक शोध ने उनके नाम को कई अवधारणाओं से जोड़ा, जिनका वर्णन सबसे पहले उन्होंने किया था:डूडल के आज के पोस्ट में लैंडौ लेवल्स, लैंडौ डायमेग्नेटिज्म, लांडौ डम्पिंग और लैंडओवर एनर्जी स्पेक्ट्रम पर फोकस हैं"।
12 साल उम्र में ही डिफ्रेंटिएशन सीख लिया था और 13 साल की उम्र में उन्हें इंटीग्रेशन आ गया था। लैंडौ ने 1920 में मात्र 13 साल की उम्र में ही ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर ली थी।
लेव ने मात्र 21 साल की उम्र में अपनी पीएचडी पूरी कर ली थी। लेव की मौत 60 साल की उम्र में 1 अप्रैल 1968 को मॉस्को में हुई थी।
लेव के माता पिता को लगता था कि लेव यूनिवर्सिटी जाने के लिए अभी छोटे हैं, इसलिए उन्हें एक साल के लिए बाकू इकोनॉमिक्ल टेक्निकल स्कूल भेजा गया। साल 1922 में उन्हें बाकू स्टेट यूनिवर्सिटी भेजा गया, जहां उन्होंने भौतिक और गणित डिपार्टमेंट और डिपार्टमेंट ऑफ कमेस्ट्री में पढ़ाई शुरू की है।
19 वर्ष की आयु में लेनिनग्राद विश्वविद्यालय के भौतिक विभाग से स्नातक होने के बाद, उन्होंने लेनिनग्राद फिजिको-तकनीकी संस्थान में अपना वैज्ञानिक कैरियर शुरू किया।
क्वांटम थ्योरी पर काम करने के लिए मशहूर नील्स बोहर का लेव के दिमाग पर काफी प्रभाव पड़ा। उन्होंने मैट्रिक्स मैथड इन क्वांटम मैकेनिज्म, थ्योरी ऑफ सेकेंड ऑर्डर फेस ट्रांसिशंस, थ्योरी ऑफ फर्मी लिक्विड, द गिंजबुर्ग-लाडांउ थ्योरीऑफ सुपरकंडक्टिविटी के साथ अन्य की सह-खोज की थी। उन्हें 1962 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
लैंडौ ने अपने देश लौटने के बाद, अपनी पढ़ाई जारी रखी। पीएल कपिट्स् ने लेव डेविडॉविच को 1937 में अपने संस्थान में काम करने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन कई महीने बाद वैज्ञानिक को झूठे निंदा पर गिरफ्तार किया गया।
वह मॉस्को में थियोरिटिकल डिपार्टमेंट ऑफ इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल प्रॉब्लम्स ऑफ एकेडमी ऑफ साइंसेज में भी रहे। Lev Landau खारकीव और मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटीज में थियोरिटिकल फिजिक्स के प्रोफेसर भी रहे। 1961 में उन्हें मैक्स प्लैन्क मेडल और फ्रिट्ज लंदन प्राइज मिला। Lev Landau को 1962 में फिजिक्स में नोबेल प्राइज मिला।
Lev Landau ने क्वांटम मैकनिक्स में डेन्सिटी मैट्रिक्स मेथड, थियोरी ऑफ सेकंड ऑर्डर फेज ट्रैन्जिशन, थियोरी ऑफ फर्मी लिक्विड को-डिस्कवर्ड कीं। वह यूक्रेनियन फिजिको टेक्निकल इंस्टीट्यूट में थियोरेटिकल डिपार्टमेंट के हेड भी थे।