यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में एक नवजात की मौत के बाद उसका पिता बच्चे के शव को एक झोले में डालकर डीएम कार्यालय पहुंच गया और जिलाधिकारी से मदद की गुहार लगाने लगा। बच्चे के शव के साथ पिता को डीएम कार्यालय में इस तरह से देख वहां अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया, लेकिन उस बेबस और लाचार पिता की गुहार को जिसने सुना वह अपने आंसू नहीं रोक पाया। पिता डीएम कार्यालय में रोते हुए अधिकारियों से कह रहा था कि कोई उसके बच्चे को जिंदा कर दो साहब, अस्पताल वालों ने उसे मार दिया है।

डीएम ने तत्काल लिया एक्शन

शख्स ने अधिकारियों को बताया कि उसकी पत्नी ने एक निजी अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन अस्पताल की लापरवाही ने उनके बच्चे की जान ले ली। इस दौरान उसकी पत्नी की भी हालत बिगड़ गई। बेबस और लाचार पिता ने अधिकारियों से अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। वहीं जिलाधिकारी ने भी तत्काल एक्शन लेते हुए अस्पताल को सील कर दिया।

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‘अस्पताल को पैसे नहीं मिले तो नहीं किया इलाज’

यह पूरा मामला महेवागंज स्थित गुलदार अस्पताल का है। पीड़ित युवक ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने इलाज के दौरान पैसों की मांग की और इलाज में लापरवाही की जिस वजह से महिला के नवजात बच्चे ने दम तोड़ दिया। पीड़ित युवक का आरोप है कि जब अस्पातल प्रशासन को पैसे नहीं मिले तो उन्होंने बच्चे की माता को बाहर कर दिया जिससे कि महिला की हालत बिगड़ गई। इसके बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया।

इसके बाद बेबस पिता नवजात बच्चे के शव को लेकर डीएम ऑफिस पहुंच गया। वहां पहुंचकर पिता की आंखों से आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे। डीएम कार्यालय पहुंचकर युवक ने बताया कि उसकी पत्नी की हालत बेहद नाजुक है। वह बार-बार अपना बच्चा मांग रही है, वह अपनी पत्नी को जवाब दे? एक पिता की गुहार को सुनने के बाद वहां मौजूद अधिकारी भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। पीड़ित युवक ने कहा कि मेरे बच्चे को जिंदा कर दीजिए या दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। डीएम साहब ने पिता की बातों को सुनकर तुरंत कार्रवाई करते हुए अस्पताल को सील कर दिया।

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लखीमपुर खीरी जिले के भीरा थाना क्षेत्र के गांव नौसर जोगी के रहने वाले विपिन गुप्ता की पत्नी रूबी गुप्ता गर्भवती थीं। 19 अगस्त को रूबी को लेबर पेन हुआ जिसके बाद उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिजुआ में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि अभी डिलीवरी का समय नहीं है और उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इस दौरान रूबी की बहन ने गांव की आशा बहू दीपा से संपर्क किया।

दीपा ने रूबी को महेवागंज स्थित गुलदार अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। बुधवार की रात ही रूबी को यहां अस्पताल लाया गया। अस्पताल प्रशासन की ओर से 10 हजार रुपए नार्मल डिलीवरी के और 12 हजार रुपए सर्जरी के लिए मांगे गए। परिजनों का आरोप है कि रूबी की हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने से पहले 25 हजार रुपए जमा कराने की बात कही। रूबी के पति बिपिन गुप्ता ने 5 हजार रुपए जमा करा दिए और बाकी पैसे अगले दिन देने की बात कही, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज में देरी की। इसके बाद जब पैसे नहीं आए तो डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिए और महिला को अस्पताल से बाहर कर दिया गया।