ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर पूरी दुनिया में बातें हो रही हैं, लेकिन इसे रोकने के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, वो नाकाफी साबित हो रहे हैं। वहीं ग्लोबल वॉर्मिंग के नुकसान अब हमारे सामने आने लगे हैं। दुनिया भर में मौसम में आ रहे बदलाव के साथ ही कई तटीय इलाकों के डूबने का खतरा बढ़ गया है। बंगाल की खाड़ी में स्थित एक भारतीय द्वीप घोरामारा के तो अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है। दरअसल इस द्वीप का आधा हिस्सा समुद्र के बढ़ते जलस्तर की भेंट चढ़ गया है और तेजी से बाकी बचा द्वीप भी समुद्र में डूबता नजर आ रहा है। बता दें कि घोरामारा द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित दुनिया से सबसे बड़े मैनग्रूव के जंगल संदुरबन का हिस्सा है। लेकिन मौसम में आ रहे बदलावों के चलते समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे घोरामारा द्वीप धीरे-धीरे समुद्र में डूब रहा है।
द्वीप के डूबते जाने के कारण यहां के कई निवासी यहां से पलायन कर चुके हैं। आज स्थिति ये है कि 10 साल पहले यहां 7000 के करीब जनसंख्या था, जो कि अब घटकर 4800 रह गई है और ये संख्या दिनों-दिन घटती जा रही है। पिछले एक दशक में यह द्वीप आधा खत्म हो चुका है। हर साल यहां आने वाली बाढ़ ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है। घोरामारा पर बढ़ते खतरे के चलते यहां के कई स्थानीय निवासी पलायन करना चाहते हैं, लेकिन कहीं और बसना वह वहन नहीं कर सकते हैं, जिसके चलते मजबूरी में खतरे के बावजूद उन्हें इस द्वीप पर ही रहना पड़ रहा है।
बता दें कि घोरामारा की तरह ही असम का माजुली द्वीप भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है और उसका हिस्सा भी तेजी से पानी में डूबता जा रहा है। दरअसल यह द्वीप चारों तरफ से पानी से घिरा है और हर साल इसका क्षेत्रफल कटाव के कारण घटता ही जा रहा है। उल्लेखनीय है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी तक रोकने की कोशिश की जा रही है। हालांकि विभिन्न देशों की कोशिशों को देखकर तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक भी रोकना मुश्किल नजर आ रहा है। लेकिन यदि हम तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री तक रोकने में सफल भी हो जाते हैं तो इस सदी के अंत तक समुद्र का जलस्तर 2.5 फीट तक बढ़ने की आशंका है, जिसका मतलब है कि कई तटीय इलाके समुद्र में डूब जाएंगे।