किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अस्पताल से छुट्टी पाने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीयों की मदद करना जारी रखा है। उन्हें 19 दिसंबर को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) से डिस्चार्ज किया गया था। हालांकि उन्हें कम से कम तीन महीने तक किसी से मुलाकात करने की इजाजत नहीं दी गई है। लेकिन विदेश मंत्री ने विदेशों में फंसे भारतीयों की मदद जारी रखी है। स्वराज ने गुरुवार को ट्विटर पर इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट शेयर करते हुए लिखा कि उन्होंने इस संबंध में नॉर्वे में भारतीय राजदूत से रिपोर्ट मांगी है। भाजपा नेता विजय जॉली ने उन्हें और नार्वे में भारतीय राजदूत को पत्र लिखकर एक जोड़े को उनके बच्चे की कस्टडी दिलाने में मदद के लिए कहा था। भारतीय राजदूत देबरात प्रधान को लिखे पत्र में, जॉली ने बताया कि कैसे एक भारतीय जोड़े से नॉर्वे के बाल कल्याण विभाग द्वारा 13 दिसंबर को ओस्लो में दी गई एक आधारहीन और गढ़ी गई शिकायत के जरिए उनके बच्चे, आर्यन की कस्टडी ले ली गई। जॉली ने बताया कि उन्हें विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की कॉल आई थी। उसने कहा कि भारतीय जोड़े की मदद की जाएगी।
2011 के बाद से यह तीसरा मामला है जब नॉर्वे के अधिकारियों द्वारा भारतीय जोड़ों से उनके बच्चे छीन लिए गए हों। 2011 में, तीन और एक साल के दो बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया था। तब तत्कालीन यूपीए सरकार ने नॉर्वे के सामने मुद्दा उठाया था। नॉर्वे की अदालत ने बाद में बच्चों को उनके माता-पिता के साथ रहने की इजाजत दे दी।
I have asked Indian Ambassador in Norway to send me a report. https://t.co/666l9t91xD
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) December 22, 2016
2012 में एक भारतीय जोड़े को अपने बच्चों से खराब बर्ताव के लिए जेल में डाल दिया गया था। तब उनके बच्चे 7 और 2 साल के थे। मां-बाप के जेल जाने के बाद बच्चों को उनके दादा-दादी के घर भेज दिया गया था।
64 साल की सुषमा लंबे समय से मधुमेह से पीड़ित रही हैं। एक जांच के दौरान ही उनके गुर्दो के काम नहीं करने का पता चला। इसके बाद से वह डायलिसिस पर थीं। सुषमा स्वराज ने गत 16 नवंबर को ट्विटर पर लिखा था कि उनके गुर्दे ने काम करना बंद कर दिया है इसलिए वह एम्स में भर्ती हैं।