ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी हाल ही में भारत दौरे पर आए थे। उनका यह दौरा उस वक्त विवादों में आ गया, जब एक कार्यक्रम में कुछ महिला पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ उनकी एक तस्वीर सामने आयी। दरअसल इस तस्वीर में जैक डोरसी ने एक प्लेकार्ड अपने हाथों में पकड़ा हुआ था, जिस पर “Smash Brahminical Patriarchy”(ब्राह्मण पितृसत्ता को तोड़ दो) लिखा हुआ था। इस तस्वीर को सामने आते ही लोगों ने सोशल मीडिया पर इस पर कड़ी आपत्ति जतायी, जिसके बाद ट्विटर को इस मुद्दे पर सफाई देनी पड़ी। अब कांग्रेस नेता और पूर्व कानून मंत्री मनीष तिवारी ने इस विवाद को हवा देने की कोशिश की है। दरअसल मनीष तिवारी ने देश के ब्राह्मणों की तुलना यहूदियों से कर डाली है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने एक ट्वीट कर लिखा कि “हम ट्विटर को बनाने वाले पर क्यों आरोप लगा रहे हैं? ब्राह्मणवाद विरोध भारतीय राजनीति की सच्चाई है। भारतीय राजनीति के मंडलवाद के बाद इसे उत्तर में बढ़ावा मिला है। हम भारत के नए यहूदी हैं और हमें अब इसके साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए।” मनीष तिवारी के इस ट्वीट पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं।
Why blame @CreatorOfTwitt . Anti Bhrahmisam is the reality of Indian politics. Got accentuated in the North post Mandalisation of Indian politics . We are the new Jews of India and we should just learn to live with it . pic.twitter.com/mYXcgt9hx3
— Manish Tewari (@ManishTewari) November 20, 2018
बता दें कि जर्मनी में नाजी शासनकाल के दौरान यूरोप में बड़ी संख्या में यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इन घटनाओं में मारे गए यहूदियों की संख्या लाखों में बतायी जाती है। ऐसे में कांग्रेस नेता ने देश के ब्राह्मणों की तुलना यहूदियों से क्यों की है, ये तो वहीं बता सकते हैं। बहरहाल सोशल मीडिया पर भी मनीष तिवारी के इस ट्वीट पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं। कुछ लोग जहां मनीष तिवारी के बयान की आलोचना कर रहे हैं और ब्राह्मणों की तुलना यहूदियों से करने पर उनसे नाराजगी जता रहे हैं, वहीं कुछ ने इसका समर्थन भी किया है।
Mr Tewari that is highly irresponsible from you. Very poor crass
— Ankit Srivastava (@impressionsAS) November 20, 2018
Brahminism was the reality of Indian life. Anti-brahminism is the reality of awakened and educated India. And anti-brahminism is NOT the same as anti-Brahmin, so stop feeling like a victim, and join hands to end caste privilege and male privilege. We expect better from you, Sir.
— Jami Koshy (@JamiKoshy) November 21, 2018
Wrong choice of the words “Jews”, sir. India is perhaps the only country where Jews were never discriminated against.
— KBS Sidhu, IAS (@kbssidhu1961) November 20, 2018
First time agreeing with congress
— Latish Achary (@latishachary) November 21, 2018