जब हम बड़े हो जाते हैं तो यह महसूस करने लगते हैं कि जीवन कितना कठिन हो सकता है, कई बार लोगों को ऐसी स्थिति में ढकेल दिया जाता है कि वे या तो टूट जाते हैं या फिर संघर्षों से तपकर उबर जाते हैं। जिंदगी में अक्सर कई तरह के संघर्षों से सामना होता है, हालांकि इनसे उबरने के बाद ही हम औऱ निखरते हैं। बेंगलुरु का एक शख्स इसी वजह से वायरल हो रहा है।

अपने कॉर्पोरेट करियर को छोड़ने के बाद उसने सारी उम्मीद खो दी थी। हालांकि उसने खुद को फिर से मजबूत किया, उसे फिर से जीवन में अर्थ मिला और इस बार एक ऑटोरिक्शा चालक के रूप में। अब इस शख्स के पास “जीवन और धन” के बारे में एक शक्तिशाली मसैज है।

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अब वायरल हो रहे वीडियो में ऑटोरिक्शा चालक कहता है, “मैं सब कुछ दोबारा शुरू करने से नहीं डरता।” वह आगे कहते हैं, “यह उन लोगों के लिए है जो सोचते हैं कि जीवन खत्म होने वाला है… जो अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। मैंने हार मान ली थी। मैंने सोचा था कि मैं कभी ठीक नहीं हो पाऊंगा लेकिन यहां मैं ऑटो चला रहा हूं और जीवन खत्म नहीं होने वाला है। जो भी परिणाम होगा, मैं अपने तरीके से भुगतूंगा। मैं इससे नहीं डरता।”

वह आगे कहता है “अगर आप इस तरह रहते हैं, तो चीजें अपने आप ठीक हो जाएंगी।” पैसे के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं, “पैसा एक ज़रूरत है, लेकिन पैसा ही एकमात्र ज़रूरत नहीं है। जीवन में और भी चीज़ें हैं जो अधिक मायने रखती हैं।”

वीडियो के ऊपर लगे टेक्स्ट में लिखा है, “ऑटो ड्राइवर अब कॉर्पोरेट गुलाम नहीं है।” इस क्लिप को पहले ही 1 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है, जिससे ऑनलाइन रिएक्शन की बाढ़ आ गई है। एक यूजर ने लिखा, “यह सच में आराम देने वाला है, जब आपको एहसास होता है कि आपके आस-पास ऐसे लोग हैं जो फैंसी नौकरी के शीर्षक के बिना भी अच्छा काम कर रहे हैं।”

एक अन्य ने लिखा है, “पैसा हमेशा कम होता है…चाहे वह कितना भी हो। आपको अनावश्यक चीजों पर खर्च करने की अपनी आदत पर अंकुश लगाना होगा। वर्तमान में जियो, पैसा कमाना आपके जीवन का एकमात्र उद्देश्य नहीं होना चाहिए।”

एक तीसरे ने बताया, “विदेशों में, जब लोगों की नौकरी छूट जाती है तो वे कोई भी छोटा-मोटा काम कर लेते हैं जिससे उन्हें कमाई करने और अपने परिवार का समर्थन करने में मदद मिलती है। यहां भारत में कई नौकरियों को ‘निम्न स्तर’ माना जाता है – यह सब लोगों की मानसिकता के बारे में है।” एक अन्य ने लिखा, “जिस तरह से भारतीय कॉर्पोरेट और तकनीकी नौकरियां कर्मचारियों के साथ व्यवहार करती हैं वह बहुत ही नृशंस है। मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर ये जगहें मानसिक बीमारी लोगों से भरी हों।” खैर, इस खबर पर आपकी क्या राय है? UPSC के फर्स्ट अटैंप्ट में हुई फेल तो खुद को कर लिया था घर में कैद, 45 किलो बढ़ा वजन; फिर ऐसे किया कमबैक कि बन गई रोल मॉडल