पाकिस्तान को युद्ध में बुरी तरह हराने के बाद 1972 में आज ही के दिन भारत और बांग्लादेश ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे। ये तो इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है कि किस तरह 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की आजादी की लड़ाई में भारत ने बांग्लादेश के अस्तित्व में आने की राह पर साथ दिया था। यही साथ और सहायता दोनों देशों के बीच गहरी दोस्ती और अच्छे संबंधों की नींव बनी। इस नींव को युगों तक अमर बनाने के लिए 19 मार्च, 1972 को मैत्री संधि पर दोनों देशों के हस्ताक्षर के बाद आपसी सहयोग का एक नया दौर शुरू हुआ। आज इस दोस्ती को लगभग 45 साल हो गए हैं। इस बीते सालों में दोनों देशों ने कई उतार चढ़ाव देखे लेकिन आज तक ये मैत्री संबंध जस का तस बना हुआ है।
पाकिस्तान से युद्ध खत्म होने के बाद बांग्लादेश में आवामी लीग की सरकार बनी। उसने सीधे तौर पर भारत को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियां अपनाईं। उसने ऐसी नीतियां अपनाईं जो पूरी तरह से भारत समर्थक थीं। 1971 से लेकर 1975 तक के समय को दोनों देशों के संबंधों को मजबूत बनाने वाला समय माना जाता है। शांति और सहयोग की बुनियाद पर हुई मैत्री संधि में जिन साझे मूल्यों का जिक्र था उनमें उपनिवेशवाद की निंदा और गुटनिरपेक्षता शामिल था। दोनों देशों ने एक दूसरे को यह वायदा भी दिया कि वे कला, साहित्य और सांस्कृतिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे।
इस मैत्री संधि के अनुच्छेद 6 में इस बात का भी महत्वपूर्ण उल्लेख किया गया कि दोनों देश मिलकर संयुक्त नदी आयोग बनाएंगे। ये संयुक्त आयोग पानी के बंटवारे को लेकर दोनों देशों के हितों को सुनिश्चित करेगा। बाढ़ से बचने, नदी के घाटी क्षेत्र और पनबिजली के विकास को मिलकर बढ़ावा देने पर भी संधि में सहमति बनी। फिलहाल आज भारत और बांग्लादेश के गहरे ऐतिहासिक संबंध पूरी दुनिया के लिए मिसाल हैं। साझे इतिहास, धर्म, और संस्कृति वाले दोनों देशों के बीच मित्रता का संबंध 1972 की मैत्री संधि से भी कहीं ज्यादा गहरा माना जाता है।
