ट्विटर…सोशल मीडिया का एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां पर लोग खुलकर अपने विचार साझा करते हैं, ऐसा प्लेटफॉर्म जहां पर न्यूज का भी भंडार रहता है। इस एक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल लोग अपने-अपने हिसाब से करते हैं या कह सकते हैं कि कर रहे थे। जब से एलन मस्क ने ट्विटर की कमान अपने हाथों में ली है, ये नीली चिड़िया आजाद होने के बजाय किसी के इशारों पर अब नाच रही है, एक के बाद एक झटके दे रही है। ऐसा ही एक झटका गुरुवार को तब लगा जब ट्विटर ने Legacy वेरिफाइड अकाउंट यानी अनपेड अकाउंट्स से ब्लू टिक हटा दिया। इस एक फैसले के बाद क्या नेता,क्या खिलाड़ी, क्या बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियां, सभी के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक गायब हो गया।

अब ये तो सिर्फ एक फैसला है, लेकिन एलन मस्क ने जब से ट्विटर की कमान अपने हाथों में ली है, उन्होंने कई बड़े बदलाव किए हैं। कुछ बदलाव तो तो ऐसे भी रहे जो कुछ घंटों में ही बदल दिए गए। ऐसे में बदलाव के साथ-साथ ट्विटर काफी अनप्रिडिक्टेबल हो गया है। एलन मस्क के साथ ट्विटर ने अपना एक ऐसा सफर शुरू किया है, जिसमें तमाम तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं, एक से बढ़कर एक नाटकीय मोड़ आ रहे हैं। अब एलन मस्क और उनके इस ट्विटर की पूरी कहानी विस्तार से समझते हैं। कैसे मस्क के हाथ ट्विटर लगा, ये जानते हैं, उनके आने के बाद ट्विटर पर क्या-क्या बदल गया, वो समझते हैं और आने वाले दिनों में और क्या बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, उस पर भी नजर डालते हैं।

ट्विटर की डील एलन मस्क के हाथ कैसे लगी?

ट्विटर का एलन मस्क के साथ रिश्ता पिछले साल 4 अप्रैल को शुरू हुआ था। ट्विटर को लेकर मस्क की एक विचारधारा तो हमेशा से चल रही थी। वे कई बड़े बदलाव उस प्लेटफॉर्म में करना चाहते थे, लेकिन बिना उस प्लेटफॉर्म का हिस्सा बने, वो करना मुश्किल था। अब मस्क के पास पैसे की कोई कमी नहीं, ऐसे में उन्होंने पिछले साल 4 अप्रैल को ट्विटर में 9।2 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी। वे उस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के एक बड़े शेयर होल्डर बन गए थे। लेकिन मस्क के सपने बड़े थे, उन्हें सिर्फ शेयर होल्डर नहीं बनना था, बल्कि वे तो पूरा ट्विटर खरीदना चाहते थे। इसके लिए भी उनके मन में एक पूरा प्लान तैयार था और उसी कड़ी में उन्होंने ट्विटर को एक ऑफर दिया। उस ऑफर के तहत मस्क 54।2 डॉलर प्रति शेयर के भाव से 44 अरब डॉलर में ट्विटर खरदीने को तैयार हो गए।

ऑफर महत्वकांक्षी था, लेकिन मस्क के हाथ में इसे देने में कंपनी भी हिचक रही थी, ऐसे में पहले उनके इस ऑफर को ठुकरा दिया गया।लेकिन बाद में पता चला कि कंपनी के बोर्ड के जो कुछ सदस्य थे, वे मस्क की डील से खुश थे, वे चाहते थे कि इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी जाए। अब माना जा रहा था कि बोर्ड की हामी के बाद जल्द ही ट्विटर एलन मस्क का हो जाएगा। लेकिन मई महीने इस कहानी में बड़ा ट्विस्ट आया और तब के ट्विटर सीईओ पराग अग्रवाल और एलन मस्क के बीच एक जुबानी जंग शुरू हो गई। ये जंग ट्विटर बोट को लेकर शुरू हुई, बात इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि मस्क ने डील से हाथ पीछे खीचने तक की बात कर दी।

अब ये विवाद समझने के लिए ट्विटर बोट का मतलब पता होना जरूरी हो जाता है। ट्विटर बोट कुछ और नहीं बल्कि क्लोन अकाउंट की तरह काम करते हैं। इनकी पहचान करना मुश्किल रहता है क्योंकि ये किसी दूसरे आम इंसान के अकाउंट जैसे ही दिखाई देते हैं। बड़ी बात ये रहती है कि इन अकाउंट्स के द्वारा किसी भी दूसरे यूजर को फॉलो किया जा सकता है, वो रीट्वीट भी कर सकते हैं। आमतौर पर आप देखेंगे जब किसी प्रोडक्ट को अपनी वेबसाइट पर ज्यादा लोगों को लाना होता है (तकनीकी भाषा में ट्रैफिक),तो इन बोट अकाउंट का इस्तेमाल होता है। राजनीतिक संदेश देने में या किसी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए भी इनका इस्तेमाल होता रहता है। अब इन्हीं ट्विटर बोट को लेकर मस्क और पराग के बीच में सारा विवाद चला।

असल में ट्विटर ने अपनी रिपोर्ट में ये बताया कि प्लेटफॉर्म पर बोट अकाउंट की संख्या सिर्फ पांच प्रतिशत है। लेकिन मस्क का मानना था कि ये संख्या 90 फीसदी तक हो सकती है। वे असल में इन बोट अकाउंट को फर्जी अकाउंट के रूप में देख रहे थे, तर्क दे रहे थे कि इससे ट्विटर की विश्वसनीयता को चोट पहुंची है। इसी वजह से उनकी पराग अग्रवाल से लड़ाई हुई और उन्होंने फिर पिछले साल आठ जुलाई को ट्विटर डील को ही होल्ड कर दिया। इसके बाद ट्विटर ने मस्क पर धोखा देने का आरोप लगाया और ये मामला कोर्ट के पास चला गया। फिर कोर्ट ने 28 अक्टूबर तक डील फाइनल करने का आदेश दिया, मस्क पर भी दबाव पड़ा और उन्होंने तय तारीख से एक दिन पहले यानी कि 27 अक्टूबर को ही ट्विटर खरीद लिया। उन्होंने 44 मिलियन डॉलर की महत्वकांक्षी डील के तहत ट्विटर को अपने नाम किया। अब जब से ट्विटर एलन मस्क का हुआ है, उसमें कई बड़े बदलाव हो गए हैं। ट्विटर पर यूजर एक्सपीरियंस बदला है, कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों की चुनौतियां बढ़ी हैं और लगातार कई नियम बदले जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि पिछले कुछ महीनों में ट्विटर में क्या-क्या बदल गया है

  • ट्विटर पर सबसे ज्यादा चर्चा ब्लू टिक को लेकर है और इसी में एलन मस्क ने सबसे बड़ा बदलाव कर दिया है। जो ब्लू टिक पहले सिर्फ बड़े-बड़े सेलिब्रेटी, नेता, पत्रकारों के पास रहता था, उन्होंने इसे एक आम आदमी की पहुंच तक भी पहुंचा दिया। बस शर्त ये रख दी कि आपको ब्लू टिक लेने के पैसे देने होंगे। भारत की बात करें तो यहां पर ब्लू टिक के लिए महीने के 650 रुपये खर्च करने पड़ेंगे, लेकिन ये पैसे तब हैं अगर आप ट्विटर डेस्कटॉप पर इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर फोन पर आपको ब्लू टिक और उसके सारे फीचर चाहिए तो महीने के 900 रुपये देने पड़ेंगे। अब IOS पर पैसे ज्यादा इसलिए हैं क्योंकि वहां एप स्टोर का चार्ज भी जोड़ दिया गया है। एक बड़ा बदलाव ये भी हो गया है कि अब तीन तरह के टिक ट्विटर पर दिखने लगे हैं, अगर कोई सरकार से जुड़ा खाता है तो उन्हें ग्रे टिक दिया गया है, वहीं अगर कोई कंपनी का अकाउंट है तो उन्हें गोल्डन टिक मिला है, वहीं दूसरे अकाउंट्स जिन्होंने पैसे दिए हैं, उनके पास ब्लू टिक है।
  • एलन मस्क ने जब ट्विटर डील की थी,उन्होंने जोर देकर कहा था कि ट्विटर पर फ्रीडम ऑफ स्पीच को बढ़ावा दिया जाएगा।उनका मानना था कि पहले जिस तरह से कुछ ट्विटर अकाउंट को सीधे बैन कर दिया जाता था, वो गलत है। लेकिन अब जब मस्क ट्विटर के मालिक हैं, उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर रैपर Kanye West के ट्विटर अकाउंट को फिर रीस्टोर करवा दिया है। उनका तर्क है कि हेट स्पीच पर नजर रखी जाएगी, लेकिन बैन करना सही नहीं। अब मस्क का जो भी तर्क रहे, लेकिन उनका ये फ्रीडम ऑफ स्पीच कहीं ना कहीं हेट स्पीच को बढ़ावा दे रहा है। असल में पिछले साल दिसंबर में सेंटर फॉर काउंटरिंग डिजिटल हेट की एक रिपोर्ट आई थी।उसमें बताया गया कि ब्लैक अमेरिकन, समलैंगिक लोग, यहूदी समाज के प्रति ट्विटर पर नफरत वाले ट्वीट बढ़ गए हैं, जब से मस्क ने कंपनी की कमान संभाली है, संख्या में ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है।
  • ट्विटर में इस साल एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला है जो वर्ड लिमिट से जुड़ा हुआ है। असल में पहले ट्विटर पर सिर्फ 280 शब्दों की वर्ड लिमिट थी, यानी कि सिर्फ उतने शब्दों तक का ही ट्वीट किया जा सकता था। लेकिन अब जिनके पास भी ट्विटर पर ब्लू टिक होगा, वे 10 हजार अक्षरों तक का ट्वीट लिख पाएंगे। असल में अगर किसी को ट्विटर पर ही ब्लॉग के अंदाज में कुछ विस्तार से बताना है, तो वो नए बदलाव के बाद ऐसा आसानी से कर पाएंगे।
  • अब ट्विटर पर यूजर एक्सपीरियंस को बदलने के लिए तो फैसले हुए ही, कुछ ऐसे कदम भी उठाए गए जिनके पीछे का लॉजिक लोगों को आज तक क्लियर नहीं है। कुछ दिन पहले ही एलन मस्क ने अचानक से ट्विटर का लोगो बदल डाला था। जो नीली चिड़िया ट्विटर की पहचान बन गई थी, उन्होंने उसकी जगह एक कुत्ते का लोगो लगा दिया था। एक ट्वीट कर उन्होंने ये भी कहा था कि ये ट्विटर के नए CEO हैं। अब इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते, बाद में वो लोगो फिर चिड़िया वाला ही कर दिया गया। यानी कि बिना कोई कारण के लोगो के साथ छेड़छाड़ की गई।
  • मस्क ने ट्विटर के UI यानी कि यूजर इंटरफेस में भी कई बदलाव करने का ऐलान कर दिया है। आने वाले समय में ये ट्विटर पर दिखने भी शुरू हो जाएंगे। एक बदलाव तो हो भी चुका है जहां पर रेकमेंडेड और फॉलो ट्वीट के लिए सिंपल राइट-लेफ्ट स्वाइप का ऑप्शन शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा अगर भविष्य में आपको किसी के ट्वीट को सेव करना होगा तो सीधे-सीधे आप उसे बुकमार्क कर पाएंगे, ये फीचर भी जल्द ही दिखने वाला है।