वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल के बाहर एक नया ‘ग्रह’ खोज निकाला है। यह ग्रह अभी तक ढूंढे गए ग्रहों में सबसे नजदीक है। यह आकार में छोटा है और सूरज के सबसे नजदीकी पड़ोसी प्रॉक्सिमा सेंचुरी का चक्कर लगाता है। खगोलशास्त्रियों को लंबे समय से शक है कि प्रॉक्सिमा सेंचुरी तारे में एक ग्रह मौजूद है, मगर अब तक सबूत हाथ नहीं लगे। प्रॉक्सिमा जैसे हल्के लाल बौने तारों के चारों तरफ खरबों छोटे-छोटे ग्रह चक्कर लगाते पाए गए हैं। बुधवार को जर्नल नेचर में प्रकाशित एक शोध के अनुसार यह एलियंस की मौजूदगी की संभावना वाला ग्रह हो सकता है। सूर्य से करीब 4.25 प्रकाश वर्ष दूर स्िथत प्रॉक्सिमा अपने साथ चक्कर लगाने वाले अल्फा सेंचुरी बाइनरी सितारे से कम मशहूर है। लेकिन जहां अल्फा सेंचुरी सूरज जैसे दो सितारों से मिलकर बना है, प्रॉक्सिमा वास्तविकता में ज्यादा नजदीक है। इसे प्रॉक्सिमा बी नाम दिया गया है। यह अपने तारे का हर 11 दिन में चक्कर लगाता है। द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, इसे खोजने के लिए जो तरीका अपनाया गया है, उससे हमें यह पता नहीं चलता कि ग्रह कितना बड़ा है। लेकिन यह जरूर साफ होता है कि यह धरती से कम से कम 1.3 गुना बड़ा है। यह अपने तारे से 4 मिलियन मील से थोड़ी ज्यादा दूरी पर है (जितनी दूर हम सूरज से हैं, उससे बेहद करीब), इसलिए इस ग्रह पर इतना रेडिएशन है जो बाहरी परत का तापमान -40 डिग्री फारेनहाइट रखता है।
अभी तक लाल बौने सितारों के बारे में वैज्ञानिक जितना जानते हैं, उसके मुताबिक शायद यह ग्रह धरती, बुध और मंगल की तरह पर्वतों से बना है। इस ग्रह का एक हिस्सा अपने तारे की तरफ रहता है और आधा अंधेरे से घिरा हुआ है। किसी भी तारे को ‘धरती जैसा’ बताने के लिए वैज्ञानिकों को यह दिखाना पड़ता है कि वहां पर्वत हैं और द्रव के रूप में पानी रह सकता है। अगर प्रॉक्सिमा बी में वातावरण मिलता है तो इसका तापमान भी धरती के करीब हो सकता है। इसका मतलब इस ग्रह की सतह पर द्रव के रूप में पानी मौजूद रहने की क्षमता होगी। हालांकि अभी तक इस ग्रह की पुष्टि सीधे प्रेक्षण के तरीकों से होनी बाकी है, लेकिन शोधकर्ताओं को भरोसा है कि उन्हें कुछ खास हासिल हुआ है। अब वैज्ञानिक अन्य तरीकों के जरिए ग्रह की मौजूदगी और उसके ढांचे का पता लगाने की कोशिश करेंगे।