Surya Grahan (Solar Eclipse) 2025 Date and Time Kab Hai in India: साल 2024 का 10वां महीना चल रहा है और नए साल यानी 2025 में करीब 2 महीने से ज्यादा का वक्त बाकी है। बात करें सूर्य ग्रहण की तो साल 2025 में भी दुनिया, आसमान में सूर्य ग्रहण के अद्भुत नजारे को देखेगी। जी हां, एक बार फिर मार्च 2025 में आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) लगेगा। बता दें कि 2024 में आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगा था जो एक वलयाकार ग्रहण (Annular Solar Eclipse) था।

Surya Grahan (Solar Eclipse) 2025 Date and Time

साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा।

भारतीय समयानुसार 29 मार्च 2025 को लगने वाला आंशिक सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा। यह ग्रहण शाम 6 बजकर 13 मिनट और 45 सेकेंड पर समाप्त होगा।

कहां-कहां दिखेगा 2025 का पहला सूर्य ग्रहण

2025 का पहला सूर्य ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका के अलावा अटलांटिक और आर्कटिक महासागर के इलाकों में देखा जा सकेगा।

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क्या भारत में दिखेगा 2025 का पहला सूर्य ग्रहण?

आंशिक सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। बता दें कि 2024 में लगे पूर्ण और आंशिक दोनों सूर्य ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं दिए थे।

कितनी तरह का होता है सूर्य ग्रहण?

पूर्ण सूर्य ग्रहण
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले ले, जिससे सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक नहीं पहुंच पाता है और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति हो जाती है तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस तरह बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।

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आंशिक सूर्य ग्रहण
आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण
वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।

हाइब्रिड सूर्य ग्रहण
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण सबसे दुर्लभ सूर्य ग्रहण माना जाता है। यह तब होता है जब चंद्रमा की छाया दुनियाभर में घूमने के दौरान एक वलयाकार और पूर्ण के बीच शिफ्ट होती रही है। इस दौरान दुनिया के कुछ हिस्सों में पूर्ण जबकि कुछ हिस्सों में वलयाकार और आंशिक सूर्य ग्रहण दिखता है।

कब लगता है सूर्य ग्रहण?

आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण वह खगोलीय घटना है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है। इस दौरान चंद्रमा, कुछ वक्त के लिए सूर्य को ढक लेता है और पृथ्वी पर अंधेरा हो जाता है। इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।