Surya Grahan (Solar Eclipse) 2024 in India Date and Time: साल के दूसरे व आखिरी सूर्यग्रहण में बस कुछ दिन ही बाकी रह गए हैं। अगले महीने की शुरुआत में साल 2024 का दूसरा सूर्यग्रहण पड़ेगा। बता दें कि इस साल कुछ 4 ग्रहण, जिनमें 2 चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) जबक 2 सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) हैं। आखिरी चंद्रग्रहण 18 सितंबर को लगा था। जबकि साल का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लगा था। साल का यह पहला सूर्य ग्रहण एक पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse) था जो भारत में दिखाई नहीं दिया था। अब आपको बता रहे हैं कि इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कैसा होगा और कहां-कहां दिखाई देगा।
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सूर्य ग्रहण कब है: When is Solar Eclipse?
आपको बता दें कि साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्तूबर (बुधवार) को लगेगा। यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annual Solar Eclipse) होगा। इस ग्रहण के दौरान आसमान में अद्भुत नजारा दिखाई देगी। सूर्य ग्रहण की इस खगोलीय घटना के दौरान आसमान में Ring Of Fire दिखेगा।
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2 अक्टूबर, 2024 का सूर्य ग्रहण का समय: Solar eclipse of October 2, 2024 Timing
NASA के मुताबिक, वलयाकार सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार रात 9 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा। और सुबह 3 बजकर 17 मिनट तक चलेगा। कुल मिलाकर वलयाकार सूर्य ग्रहण कुल 6 घंटे 4 मिनट तक रहेगा। लेकिन रात होने के चलते भारत में यह वलयाकार सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा। भारत के लोग ऑनलाइन इस इवेंट को लाइव देख पाएंगे।
वलयाकार सूर्य ग्रहण के समय आसमान में एक ‘Ring Of Fire’ यानी आग का छल्ला दिखाई देगा। वैज्ञानिकों समेत लोगों को भी इस सूर्य ग्रहण का बेसब्री से इंतजार है।
कहां-कहां दिखाई देगा आसमान में ‘रिंग ऑफ फायर’: Where is ‘Ring Of Fire’ Solar Eclipse?
भारत में भले ही वलयाकार सूर्य ग्रहण विजिबल नहीं हो, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में इसे देखा जा सकेगा। दक्षिण प्रशांत महासागर, दक्षिणी दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अटलांटिक महासागर से दिखाई देने वाला ग्रहण, केवल दक्षिण अमेरिका और चिली और अर्जेंटीना के दूरदराज के हिस्सों से “Ring Of Fire” के रूप में देखा जाएगा।
इसके अलावा प्रशांत महासागर में चिली तट से 3,700 किलोमीटर दूर ईस्टर आईलैंड पर भी ग्रहण का यह नजारा दिखाई देगा। द्वीप पर अब 8,000 से भी कम लोग रहते हैं।
कितनी तरह का होता है सूर्य ग्रहण?
पूर्ण सूर्य ग्रहण
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले ले, जिससे सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक नहीं पहुंच पाता है और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति हो जाती है तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस तरह बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण
आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण
वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण सबसे दुर्लभ सूर्य ग्रहण माना जाता है। यह तब होता है जब चंद्रमा की छाया दुनियाभर में घूमने के दौरान एक वलयाकार और पूर्ण के बीच शिफ्ट होती रही है। इस दौरान दुनिया के कुछ हिस्सों में पूर्ण जबकि कुछ हिस्सों में वलयाकार और आंशिक सूर्य ग्रहण दिखता है।