साल 2025 में अब तक दो ग्रहण लग चुके हैं। पहला ग्रहण एक चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) था जो 14 मार्च 2025 को लगा था। वहीं दूसरा ग्रहण एक सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse 2025) था जो 29 मार्च 2025 को लगा था। आपको बता दें कि साल 2025 में कुल 4 ग्रहण लगने वाले हैं और इनमें दो का अद्भुत नजारा आसमान में देखा जा चुका है। भारत में ये दोनों ही ग्रहण दिखाई नहीं दिए थे। खगोलविदों के साथ-साथ अब आम लोगों को भी साल के अन्य दो ग्रहण का बेसब्री से इंतजार है। आज हम बात करेंगे साल के दूसरे सूर्य ग्रहण के बारे में। चलिए आपको बताते हैं 2025 के दूसरे सूर्य ग्रहण (2nd Solar Eclipse 2025) के बारे में…
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण कब है: 2nd Solar Eclipse 2025 Date And time
साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 (रविवार) को लगेगा। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, यह ग्रहण अमावस्या तिथि को लगेगा।
बात करें समय की तो साल का दूसरा सूर्य ग्रहण रात 21 सितंबर को रात 11 बजे शुरु होगा। यह Solar Eclipse अगले दिन यानी 22 सितंबर की सुबह 3 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। यानी ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 24 मिनट की होगी।
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क्या भारत में दिखेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण?
साल के दोनों पहले ग्रहण की तरह 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। इस Solar Eclipse को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। भारत में दिखाई ना देने के चलते हिंदू धर्म में माने जाने वाला सूतक काल भी इस ग्रहण के दौरान मान्य नहीं होगा।
आपको बता दें कि साल 2024 में लगे चारों ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं दिए थे। और आखिरी बार देश में 2019 में किसी ग्रहण का दीदार हुआ था।
कब लगता है सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना होती है और जब पृथ्वी का चक्कर लगा रहा चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूरज को ढक लेता है तो इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इस समय सूरज की रोशनी, धरती तक नहीं आ पाती और कई हिस्सों में दिन में ही अंधेरा छा जाता है।
सबसे खास बात है कि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के एक सीध में आने की यह घटना न्यू मून के समय होती है। वहीं हिंदू कैलेंडर के हिसाब से सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि को ही लगता है।
कितनी तरह के होते हैं सूर्य ग्रहण?
वैज्ञानिकों ने सूर्य ग्रहण के चार अलग-अलग प्रकार बताए हैं। हर ग्रहण के समय आसमान में एक तरह का नजारा दिखाई देता है। टोटल यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण, वलयाकार सूर्यग्रहण और हाइब्रिड यानी दुर्लभ सूर्य ग्रहण। आमतौर पर आंशिक और वलयाकार सूर्य ग्रहण काफी देखे जाते हैं जबकि हाइब्रिड सूर्यग्रहण बहुत कम लगता है। आसमान में पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की दूरी और अलाइनमेंट के आधार पर ही तय होता है कि कौन सा सूर्य ग्रहण लग रहा है।
अक्तूबर 2024 में लग रहे वलयाकार सूर्य ग्रहण की बात करें तो इस समय चांद, सूर्य को ढकता तो है लेकिन उसे पूरी तरह कवर नहीं कर पाता। सूर्य के बाहरी किनारे चमकते रहते हैं जिससे यह आग के एक छल्ले यानी Ring Of Fire की तरह दिखता है।