अगर आप वन प्लस स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं तो ये खबर आपके के लिए है। ये कंपनी आपके निजी डेटा को बिना आपकी इजाजत के इकट्ठा कर रही है और इस डेटा को अपने सर्वर स्टेशन में भेज रही है। ये दावा किया है सिक्युरिटी रिसर्चर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर क्रिस्टोफर मूर ने । मूर ने एक ब्लॉग में लिखा कि वन प्लस जो डाटा इकट्ठा कर रहा है उसमें फोन का IMEI नंबर, फोन नंबर, मैक एड्रेस, मोबाइल नेटवर्क का नाम, फोन का सीरियल नंबर और वायरलेस नेटवर्क शामिल है। खास बात ये है कि वन प्लस ने एक बयान जारी कर ये स्वीकार भी किया है कि वो अपने यूजर्स का डाटा इकट्ठा कर रहा है लेकिन इसका मकसद सॉफ्टवेयर को कुशलता को बढ़ाना और कंजूमर को बढ़िया सेल्स सपोर्ट देना शामिल है। कंपनी ने अपने बयान में कहा कि हम सुरक्षित तरीके से दो वजहों के लिए डाटा ट्रांसमिट करते हैं। हमारा मकसद यूजर्स की जरूरतों के मुताबिक सॉफ्टवेयर को डिजाइन करना है। वन प्लस एक चीनी मोबाइल कंपनी है। इस घटना की जानकारी मिलने के तुरंत बाद ही मूर ने इस साल जनवरी में ही कंपनी से संपर्क किया और इस प्रैक्टिस को बंद करने को कहा।
Hey @OnePlus_Support, it’s none of your business when I turn my screen on/off or unlock my phone – how do I turn this off? /cc:@troyhunt pic.twitter.com/VihaIDI6wP
— Christopher Moore (@chrisdcmoore) January 13, 2017
Yes please: how do I turn off this event data collection (which gets sent to https://t.co/42nroll7PD)?
— Christopher Moore (@chrisdcmoore) January 13, 2017
मूर ने अपने फोन के इनकमिंग और आउटगोइंग ट्रैफिक पर निगाह दौड़ाई तो पाया कि ऑक्सीजनओएस, जो कि कंपनी का ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर है, डेटा को अमेरिका स्थित अमेजॉन सर्वर को ट्रांसफर कर रहा है। वन प्लस फोन पर ये भी आरोप लगा कि लोग कब किस वक्त कौन सा एप खोलते हैं और उस पर कितना समय गुजारते हैं। मूर ने बताया कि यूजर की मामूली गतिविधियों को जैसे स्क्रीन ऑन ऑफ और अनलॉक पैटर्न को भी कंपनी के सर्वर में भेजा जाता है। बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब वन प्लस विवादों में आया है। इससे पहले इसी साल कंपनी पर वन प्लस का बेंचमार्क स्कोर कई एप पर बढ़ा चढ़ा कर दिखाने का आरोप लगा था।
And I’m _definitely_ not convinced you should know how long I spend in which apps. pic.twitter.com/1tX3vjW9fu
— Christopher Moore (@chrisdcmoore) January 13, 2017
And that ID appears to be the phone’s serial number which, since many buy handsets direct from you, can be linked to their identity…
— Christopher Moore (@chrisdcmoore) January 13, 2017