नेत्रहीनों के लिए नक्शे उपलब्ध करवाना आसान तो नहीं है लेकिन इन लोगों के लिए भारत में बड़े स्तर पर नक्शे बनाए गए हैं। देख सकने वाले लोगों के लिए नक्शों का इस्तेमाल भी आसान है लेकिन दुनिया के लाखों नेत्रहीन लोगों के लिए नक्शे दूर की कौड़ी हैं। देख सकने वाले लोग अब अपने आसपास की कॉफी शॉप या मेट्रो स्टेशन का पता लगाने के लिए अपने स्मार्टफोन में दिए नक्शों का भी इस्तेमाल करने लगे हैं लेकिन नेत्रहीनों की नक्शों तक पहुंच लगभग न के बराबर थी लेकिन अब भारत में दृष्टि संबंधी दोषों का सामना करने वाले लगभग 2.8 करोड़ लोगों के लिए यह स्थिति बदल रही है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने हाल ही में नेत्रहीनों के लिए एक एटलस जारी किया है।

पहली बार, नेत्रहीन लोग यह महसूस कर सकेंगे कि भारत दिखता कैसा है। देख सकने वालों के लिए भारत का नक्शा कोई नई चीज नहीं है लेकिन जो लोग देख नहीं सकते, उनके लिए नक्शा पहुंच से बाहर था। इस समस्या का हल एक ऐसा नक्शा बनाने से निकला, जिसे देखने के बजाय महसूस किया जा सकता है। अधिकतर नेत्रहीनों में छूकर चीजों को पहचान पाने की क्षमता बहुत अधिक होती है।

कोलकाता के नेशनल एटलस एंड थीमैटिक मैपिंग ऑर्गनाइजेशन ने कई साल के प्रयास के बाद ऐसा अदभुत एटलस बनाया। इसमें नक्शे की बाहरी रेखाएं उभरी हुई हैं। इसमें कागज पर सिल्क स्क्रीन प्रिंटिंग का इस्तेमाल करके नक्शा बनाया गया है ताकि नेत्रहीन लोग उन्हें महसूस कर सकें। इसे ब्रेल एटलस कहा जाता है। भारत के पूर्व महासर्वेक्षक और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के मौजूदा कुलपति पृथ्वीश नाग के अनुसार, ‘‘यह दुनिया के नेत्रहीनों के लिए पहला पूर्ण एटलस है।’’

अभी हाल में ही काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने दृष्टि बाधितों को नए साल पर तोहफा दिया है। उनके लिए पढ़ने वाला अत्याधुनिक मशीन बनाया है जिसका नाम दिव्य नयन रखा गया है। इस मशीन के जरिए दृष्टिहीन लोग बिना किसी की सहायता के अब फटाफट पढ़ सकेंगे। इस मशीन की कीमत भी बहुत कम रखी गई है ताकि अधिक से अधिक लोग इसका फायदा उठा सकें। सीएसआईआर के तहत चंडीगढ़ स्थित सेन्ट्रल साइंटिफिक इन्स्ट्रूमेन्ट्स ऑर्गनाइजेशन (सीएसआईओ) के वैज्ञानिकों ने इस मशीन का आविष्कार किया है। इसमें स्कैनर लगा हुआ है जो हिन्दी और अंग्रेजी की किसी भी स्क्रिर्ट को पढ़ सकता है और उसे जोर-जोर से बोल सकता है ताकि दृष्टिहीन उसे समझ सकें। यह पोर्टेबल डिवाइस किसी भी कंटेंट को स्कैन कर पढ़ने और उसे स्पीच में बदलने की तकनीक पर आधारित है।