Kamaladevi Chattopadhyay Google Doodle: गूगल ने आज फिर एक भारतीय महिला पर डूडल बनाया है। गूगल ने आज के इस डूडल में कमलादेवी चट्टोपाध्याय को अगल अगल तरह के संगीत उरकरणों से घिरा दिखाया है। गूगल ने महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी कमलादेवी चट्टोपाध्याय के 115 वें जन्मदिन पर आज डूडल बनाया है। भारत की आजादी के बाद कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने भारत में हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम्स और थिएटर की स्थिति को नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आजादी के बाद देश का विभाजन हो गया था, शरणार्थियों को बसाने के लिए जगह की तलाश थी, उस समय कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने गांधीजी से अनुमति लेकर टाउनशिप बसाने का जिम्मा लिया और बापू ने कहा था कि तुम्हें सरकार की कोई मदद नहीं लेनी होगी। इस तरह फरीदाबाद सामने आया जहां 50,000 शरणार्थियों को रहने की जगह मिली। इसे सहकारिता की संकल्पना पर स्थापित किया गया था।
आज भारत में परफॉर्मिंग आर्ट से जुड़े कई संस्थान कमलादेवी चट्टोपाध्याय के विजन का ही नतीजा हैं। इनमें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, संगीत नाटक एकेडमी, सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज इम्पोरियम और क्राफ्ट काउंसिल ऑफ इंडिया शामिल हैं। इसके अलावा कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने सहकारिता आंदोलन के जरिए भारतीय महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक स्तर को बेहतर बनाने के लिए भी खूब काम किया। कमलादेवी चट्टोपाध्याय को भारत में म्यूजिक, डांस और ड्रामा की नेशनल एकेडमी, संगीत नाटक एकेडमी से सर्वोच्च सम्मान संगीत नाटक अकेडमी फेलोशिप भी मिली।
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कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जन्म 3 अप्रैल, 1903 को हुआ था। इनका जन्म मंगलोर (कर्नाटक) में हुआ था। कमलादेवी के पिता मंगलोर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर थे। कमलादेवी जब 7 साल की हुईं तो उनके पिता की मौत हो गई। कमला देवी की दो शादी हुई थीं। पहली शादी महज 14 साल की उम्र में हुई थी। कमला देवी की पहली शादी कृष्ण राव से हुई थी। शादी के 2 साल बाद ही कृष्ण राव की मौत हो गई। कमलादेवी चेन्नई के क्वीन मेरीज़ कॉलेज में पढ़ती थीं। इसी दौरान उनकी मुलाकात सरोजनी नायडू की छोटी बहन से हुई। इसके बाद उनकी मुलाकात सरोजनी नयाडू के भाई हरेंद्र नाथ चट्टोपाध्याय से हुई। कुछ समय बाद कमलादेवी और हरेंद्र नाथ ने शादी कर ली।
चट्टोपाध्याय ने अंतरराष्ट्रीय रिश्तों वाली कई किताबें लिखीं हैं। इनमें Japan-its weakness and strength, Uncle Sam’s empire और In war-torn China जैसी किताबें शामिल हैं। कमलादेवी ने फिल्मों में भी अपना हाथ आजमाया था। वे दो साइलेंट (मूक) फिल्मों में नजर आई थीं। इसमें से एक कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की पहली साइलेंट फिल्म थी। इसका नाथ था ‘मृच्छकटिका (1931)।’ इसके बाद वह ‘तानसेन’ फिल्म में के.एल. सहगल और खुर्शीद के साथ नजर आईं। उसके बाद कमलादेवी ने ‘शंकर पार्वती (1943)’ और ‘धन्ना भगत (1945)’ जैसी फिल्में भी कीं।