Joseph Antoine Ferdinand Plateau (जोसेफ एंटोनी फर्डिनेंड प्लेटो) Research, Biography, Books: Google आज बेल्जियम के भौतिक विज्ञानी जोसेफ एंटोनी फर्डिनेंड प्लेटो को उनके 218 वें जन्मदिन पर याद किया है। जोसेफ एंटोनी द्वारा विजुअल पर किए गए रिसर्च ने उन्हें फेनाकिस्टिस्कोप नामक एक उपकरण को बनाने के लिए प्रेरित किया जिसके कारण सिनेमा का जन्म हुआ। फेनाकिस्टिस्कोप ने एक मूविंग इमेज का भ्रम पैदा किया जो मोशन पिक्चर के जन्म और विकास के लिए जरूरी था। प्लेटो के पिता एक कलाकार थे, जो फूलों की पेंटिंग बनाने में माहिर थे। शुरुआत में प्लेटो ने कानून की पढ़ाई की लेकिन बाद में फिजियोलॉजिकल ऑप्टिक्स का अध्ययन किया, विशेष रूप से मानव रेटिना पर प्रकाश और रंग के प्रभाव पर जोर दिया, जिसने उन्हें 19 वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक बना दिया।
Joseph Antoine Ferdinand Plateau 218th Birth Anniversary: All you need to Know
उनकी रिसर्च इस बात पर केंद्रित थी कि रेटिना पर चित्र कैसे बनते हैं, उनकी सही अवधि, रंग और तीव्रता को देखते हुए। उन्होंने 1832 में इन निष्कर्षों के आधार पर एक स्ट्रोबोस्कोपिक उपकरण बनाया जिसमें दो डिस्क विपरीत दिशाओं में घूमती थीं। पहली डिस्क में एक सर्कल में छोटी विंडो थीं, और दूसरी डिस्क में एक सीरिज में एक डांसर की तस्वीरें थीं।
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Highlights
जोसेफ प्लेटो ने स्ट्रोबोस्कोपिक (Stroboscopic) उपकरण तैयार किया जिसमें में दो डिस्क लगाए। दोनो डिस्क एक दूसरे के विपरीत दिशा में घूमते थे। पहली डिस्क में समान दूरी पर छोटी खिड़कियां बनी थीं, जबकि दूसरी पर चित्र (Photo) लगे थे। जब दोनों डिस्क को एक साथ एक निश्चित गति पर घुमाया गया, तो वो चलचित्र (Motion Picture) की तरह दिखने लगे।
इनका जन्म 14 अक्टूबर 1801 तथा इनकी मृत्यु 15 सितम्बर 1883 , आज इनका 218 वां जन्मदिन है और इस अवसर पर गूगल ने अपने डूडल पर इनको लगाकर इनको याद किया है।
जोसेफ एंटोनी ने उस तकनीक की खोज की थी जिसका इस्तेमाल फिल्मों में एनीमेशन लाने के लिए किया जाता था। इस तकनीक का नाम है फेनाकिसटिस्कोप। यह एक प्रकार का एनीमेशन डिवाइस है जिसका प्रयोग सबसे पहले मोशन पिक्चर के लिए किया गया था।
जोसेफ एंटोनी द्वारा विजुअल पर किए गए रिसर्च ने उन्हें फेनाकिस्टिस्कोप नामक एक उपकरण को बनाने के लिए प्रेरित किया जिसके कारण सिनेमा का जन्म हुआ। फेनाकिस्टिस्कोप ने एक मूविंग इमेज का भ्रम पैदा किया जो मोशन पिक्चर के जन्म और विकास के लिए जरूरी था।
जोसेफ एंटोनी की रिसर्च इस बात पर केंद्रित थी कि रेटिना पर चित्र कैसे बनते हैं, उनकी सही अवधि, रंग और तीव्रता को देखते हुए। उन्होंने 1832 में इन निष्कर्षों के आधार पर एक स्ट्रोबोस्कोपिक उपकरण बनाया जिसमें दो डिस्क विपरीत दिशाओं में घूमती थीं। पहली डिस्क में एक सर्कल में छोटी विंडो थीं, और दूसरी डिस्क में एक सीरिज में एक डांसर की तस्वीरें थीं।
जोसेफ प्लेटो का जन्म 14 अक्टूबर 1801 को बेल्जियम के ब्रसेल्स में हुआ था। जोसेफ ने 1829 में भौतिक और गणितीय विज्ञान के एक डॉक्टर के रूप में स्नातक की उपाधि हासिल की। 1827 में ब्रसेल्स में गणित पढ़ाया और बाद में 1835 में वे गेंट यूनिवर्सिटी में फिजिक्स और एप्लाइड फिजिक्स के प्रोफेसर बन गए।
प्लेटो ने विज्ञान और गणित में अपने करियर का आनंद लेते हुए बेस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर आधुनिक सिनेमा को संभव बनाया। उनके योगदान को याद करते हुए गूगल ने उनके 128वीं बर्थ एनिवर्सिरी पर डूडल बनाया है।
गूगल के अनुसार अपने शोध में आगे बढ़ते हुए जोसेफ प्लेटू के आंखों की रोशनी चली गई थी। वो देख नहीं सकते थे इसके बावजूद उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपना काम जारी रखा। इसमें उनके बेटे व दामाद ने उनकी मदद की।
जोसेफ प्लेटू ने अपने शोध (Dissertation) के जरिए दुनिया को बताया कि हमारी आंखों के रेटिना पर कोई प्रतिबिंब या इमेज कैसे बनती है। वह कितनी देर रेटिना पर टिकी रहती है। आंखें कैसे उसका रंग और गहराई समझ पाती हैं। आज गूगल उनकी 128वीं बर्थ एनिवर्सिरी मना रहा है।
रेटिना पर रंगों का प्रभाव, घूमते हुए घटता (स्थान) के चौराहों में गणितीय रिसर्च, मोशन पिक्चर्स के डिस्टॉर्शन का अवलोकन, और डिस्टॉर्टिड इमेज के रीकंस्ट्रक्शन के माध्यम से काउंटर रिवॉल्विंग डिस्क उनके रिसर्च पेपर के कुछ प्रमुख निष्कर्ष थे।
प्लेटो के आविष्कार को दर्शाता हुआ डूडल गूगल ने बनाया है जिसमें एक डिस्क बीच में घूमती हुई दिख रही हैं।
प्लेटो का करियर उनके सहयोगियों फेलिक्स प्लेटो और उनके दामाद गुस्ताफ वान डेर मेन्सब्रुघे के साथ उनकी आंखों की रोखनी खो जाने के बावजूद, गेंट विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में जारी रहा।
प्लेटू का जन्म 1801 में बेल्जियम में हुआ था। गूगल आज इस महान भौतिकशास्त्री का 218वां जन्मदिन मना रहा है।
प्लेटू ने फिनेकिस्टिस्कोप (Phenakistiscope) का भी आविष्कार किया था। ये एक ऐसा उपकरण था जिसकी मदद से आगे चलकर सिनेमा और वीडियो का जन्म हुआ।
जोसेफ प्लेटू ने वर्ष 1832 में स्ट्रोबोस्कोपिक बनाया था। ये एक ऐसा उपकरण था जिसकी मदद से यह पता चला कि किसी भी वस्तु का प्रतिबिंब हमारी आंख पर कैसे बनता है।
ने स्ट्रोबोस्कोपिक (Stroboscopic) उपकरण तैयार किया जिसमें में दो डिस्क लगाए। दोनो डिस्क एक दूसरे के विपरीत दिशा में घूमते थे। पहली डिस्क में समान दूरी पर छोटी खिड़कियां बनी थीं, जबकि दूसरी पर चित्र (Photo) लगे थे। जब दोनों डिस्क को एक साथ एक निश्चित गति पर घुमाया गया, तो वो चलचित्र (Motion Picture) की तरह दिखने लगे।
जोसेफ प्लेटू ने पहले कानून की पढ़ाई की थी। लेकिन आगे चलकर भौतिक विज्ञान में उनके योगदान के चलते उन्हें 19वीं सदी के प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित वैज्ञानिक के रूप में जाना जाने लगा।
इनका जन्म 14 अक्टूबर 1801 तथा इनकी मृत्यु 15 सितम्बर 1883 , आज इनका 218 वां जन्मदिन है और इस अवसर पर गूगल ने अपने डूडल पर इनको लगाकर इनको याद किया है।
जोसेफ एंटोनी ने उस तकनीक की खोज की थी जिसका इस्तेमाल फिल्मों में एनीमेशन लाने के लिए किया जाता था। इस तकनीक का नाम है फेनाकिसटिस्कोप। यह एक प्रकार का एनीमेशन डिवाइस है जिसका प्रयोग सबसे पहले मोशन पिक्चर के लिए किया गया था।
जोसेफ एंटोनी द्वारा विजुअल पर किए गए रिसर्च ने उन्हें फेनाकिस्टिस्कोप नामक एक उपकरण को बनाने के लिए प्रेरित किया जिसके कारण सिनेमा का जन्म हुआ। फेनाकिस्टिस्कोप ने एक मूविंग इमेज का भ्रम पैदा किया जो मोशन पिक्चर के जन्म और विकास के लिए जरूरी था।
जोसेफ एंटोनी की रिसर्च इस बात पर केंद्रित थी कि रेटिना पर चित्र कैसे बनते हैं, उनकी सही अवधि, रंग और तीव्रता को देखते हुए। उन्होंने 1832 में इन निष्कर्षों के आधार पर एक स्ट्रोबोस्कोपिक उपकरण बनाया जिसमें दो डिस्क विपरीत दिशाओं में घूमती थीं। पहली डिस्क में एक सर्कल में छोटी विंडो थीं, और दूसरी डिस्क में एक सीरिज में एक डांसर की तस्वीरें थीं।
जोसेफ एंटोनी ने कानून की पढ़ाई की लेकिन बाद में फिजियोलॉजिकल ऑप्टिक्स का अध्ययन किया, विशेष रूप से मानव रेटिना पर प्रकाश और रंग के प्रभाव पर जोर दिया, जिसने उन्हें 19 वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक बना दिया।
गूगल के मुताबिक, जोसेफ प्लेट्यू के आंखों की रोशनी चली गई थी। देख न पाने के बाद भी उन्होंने विज्ञान का काम जारी रखा। आंखें जाने के बाद उन्होंने अपने बेटे और दामाद की मदद ली थी।
जोसेफ एंटोनी के पिता एक कलाकार थे, जो फूलों की पेंटिंग बनाने में माहिर थे। शुरुआत में पठार ने कानून की पढ़ाई की लेकिन बाद में फिजियोलॉजिकल ऑप्टिक्स का अध्ययन किया, विशेष रूप से मानव रेटिना पर प्रकाश और रंग के प्रभाव पर जोर दिया, जिसने उन्हें 19 वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक बना दिया।
उन्होंने अपने शोध में बताया कि हमारी आंखों के रेटिना पर तस्वीर कैसे बनती हैं। कितनी देर तक रेटिना पर टिकी रहती हैं और आंखे कैसे रंग और गहराई समझ पाती हैं। गूगल ने भी इसी आविष्कार के आधार पर डूडल बनाया है। डूडल में आप देखा सकते हैं कि एक डिस्क घूम रही है।
उनका जन्म 14 अक्टूबर 1801 को बेल्जियम के ब्रसेल्स में हुआ था। जोसेफ ने 1829 में भौतिक और गणितीय विज्ञान के एक डॉक्टर के रूप में स्नातक की उपाधि हासिल की। 1827 में ब्रसेल्स में गणित पढ़ाया और बाद में 1835 में वे गेंट यूनिवर्सिटी में फिजिक्स और एप्लाइड फिजिक्स के प्रोफेसर बन गए।
एक और दिलचस्प बात यह है कि विज्ञान और गणित में एक उपयोगी कैरियर का आनंद लेने और यहां तक कि बेस टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के बावजूद, जो आज आधुनिक सिनेमा को संभव बनाता है।
गूगल के अनुसार, बाद में जोसेफ प्लेटू के आंखों की रोशनी चली गई थी। वो देख नहीं सकते थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपना काम जारी रखा। इसमें उनके बेटे व दामाद ने उनकी मदद की।
इसके बाद उन्होंने फिनेकिस्टिस्कोप (Phenakistiscope) का आविष्कार किया था। ये एक ऐसा उपकरण था जो सिनेमा, वीडियो के जन्म का आधार बना। गूगल ने आज जोसेफ प्लेटू के उसी आविष्कार को के आधार पर डिस्क की डिजाइन वाला डूडल बनाया है। आज उनका 218वां जन्मदिन है।
इन सभी निष्कर्षों के आधार पर उन्होंने 1832 में एक स्ट्रोबोस्कोपिक (Stroboscopic) उपकरण बनाया जिसमें दो डिस्क लगे थे। वे एक दूसरे के विपरीत दिशा में घूमते थे। एक डिस्क में समान दूरी पर छोटी खिड़कियां बनी थीं, जबकि दूसरी पर चित्र (Photo) लगे थे। जब दोनों डिस्क को उचित गति पर घुमाया गया, तो वो चलचित्र (Motion Picture) की तरह दिखने लगे।
जोसेफ प्लेटू ने अपने शोध (Dissertation) के जरिए दुनिया को बताया कि हमारी आंखों के रेटिना पर कोई प्रतिबिंब या इमेज कैसे बनती है। वह कितनी देर रेटिना पर टिकी रहती है। आंखें कैसे उसका रंग और गहराई समझ पाती हैं।
उनके मौलिक शोध में केवल 27 पेज शामिल थे और उन्होंने कई मौलिक निष्कर्ष निकाले - रेटिना पर रंगों का प्रभाव, घूमते हुए घटता (स्थान) के चौराहों में गणितीय रिसर्च, मोशन पिक्चर्स के डिस्टॉर्शन का अवलोकन, और डिस्टॉर्टिड इमेज के रीकंस्ट्रक्शन के माध्यम से काउंटर रिवॉल्विंग डिस्क उनके पेपर के कुछ निष्कर्ष थे।
गूगल के अनुसार, हालांकि, जोसेफ पठार ने जीवन में बाद में अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी, उन्होंने अंधे बनने के बाद भी विज्ञान में एक उत्पादक कैरियर जारी रखा, गेन्ट विश्वविद्यालय में प्रायोगिक भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में काम करते हुए अपने सहयोगियों, बेटे और दामाद को शामिल किया।
1832 में, जोसेफ ने फेनाकिस्टिस्कोप का आविष्कार किया, जिससे कि मोशन पिक्चर का भ्रम पैदा करके सिनेमा का जन्म हुआ। आज का Google डूडल पठार की डिस्क से प्रेरित था जो अलग-अलग डिवाइस प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग इमेजरी और उनमें थीम के साथ उनकी शैली को दर्शाता है।
उनका जन्म 14 अक्टूबर 1801 को बेल्जियम के ब्रसेल्स में हुआ था। जोसेफ ने 1829 में भौतिक और गणितीय विज्ञान के एक डॉक्टर के रूप में स्नातक की उपाधि हासिल की। 1827 में ब्रसेल्स में गणित पढ़ाया और बाद में 1835 में वे गेंट यूनिवर्सिटी में फिजिक्स और एप्लाइड फिजिक्स के प्रोफेसर बन गए।