ह्यूबर्ट सेसिल बूथ, Hubert Cecil Booth Google Doodle: गूगल डूडल के जरिए बड़े आयोजनों, वर्षगांठों और महान लोगों को याद करता है। आज अंग्रेज इंजीनियर हुबर्ट सेसिल बूथ पर गूगल ने डूडल बनाया है। 4 जुलाई, 1871 को ग्लूसेस्टर में जन्मे बूथ ने दुनिया का सबसे पहला पावर वैक्यूम क्लीनर बनाया था। बूथ के आविष्कार से पहले की क्लीनिंग मशीनें धूल को उड़ा देती थीं, उसे खींचती नहीं थी। बूथ ने पेट्रोल से चलने वाला वैक्यूम क्लीनर बनाया जो दिखने में थोड़ा बड़ा था और बिल्डिंग के भीतर लाने में दिक्कत होती। मगर उसका सिद्धांत वही था जो आधुनिक वैक्यूम क्लीनर्स का होता है। बूथ ने सिर्फ वैक्यूम क्लीनर ही नहीं बनाया, उन्होंने फेरिस व्हील्स, सस्पेंशन ब्रिज और फैक्ट्रीज का भी डिजाइन तैयार किया।
ग्लूसेस्टर कॉलेज और ग्लूसेस्टर काउंटी स्कूल से पढ़ाई करने वाले बूथे ने 1889 में लंदन के सेंट्रल टेक्निकल कॉलेज में एडमिशन लिया। यहां उन्होंने तीन साल तक सिविल इंजीनियरिंग और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग विभाग में सेकेंड पोजिशन पर रहते हुए उन्होंने डिप्लोमा ऑफ एसोसिएटशिप पूरा किया। बाद में वह इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल इंजीनियर्स के छात्र बन गए।
Highlights
ग्लूसेस्टर कॉलेज और ग्लूसेस्टर काउंटी स्कूल से पढ़ाई करने वाले बूथे ने 1889 में लंदन के सेंट्रल टेक्निकल कॉलेज में एडमिशन लिया।
आज वैक्यूम क्लीनर बहुत छोटे होते हैं लेकिन पहले वैक्यूम क्लीनर एक इंजन से चलता था जिसे घोड़ों की मदद से खींचा जाता था।
बूथे को 1901 में 18 फरवरी और 30 अगस्त को पहले पेटेंट्स मिले। 'वैक्यूम क्लीनर' शब्द का प्रयोग 1901 में पहली बार बूथ के आविष्कार को बाजार देने के लिए इस्तेमाल किया गया।
1998 में, गूगल के संस्थापकों लैरी पेज और सर्जी बिन ने Google के दूसरे 'o' के पीछे एक छड़ी बनाई, यह दर्शाने के लिए कि वह बर्निंग मैन फेस्टिवल मनाने के लिए बाहर गए हैं। इसी के साथ गूगल डूडल्स की शुरुआत हुई।
1901 में बूथ लंदन के एम्पायर म्यूजिक हॉल में एक प्रदर्शनी देखने गए थे, जहां उन्होंने एक मशीन देखा। यह मशीने कुर्सियों से धूल उड़ाती थी। तब बूथ ने सोचा अगर, धूल खींचने वाले यंत्र और बाहरी हवा के बीच कोई फिल्टर लगाकर धूल को कहीं इकट्ठा किया जा सके तो यह स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी होगा। इसके बाद उन्होंने बड़ी डिवाइस बनाई जिसे उन्होंने 'पफिंग बिली' नाम दिया।
20वीं सदी के शुरुआती साल तक घरों और दूसरी जगहों की सफाई का काम प्रेशराइज्ड एयर यानी हवा की तेज फुहार मारकर होने लगा था, लेकिन बूथ के मन में विचार आया कि क्यों न इसका उल्टा किया जाए। तो उन्होंने एक ऐसा क्लीनर बनाया जो धूल को सोख लेता था। इसका नाम उन्होंने पफिंग बिली रखा। यह वैक्यूम क्लीनर एक इंजन से चलता था जिसे घोड़ों की मदद से खींचा जाता था।
लंदन में अमेरिकी मशीनों के प्रदर्शन में भाग लेने के दौरान धूल को साफ करने के लिए एक हाइजेनिक तरीके का विचार बूथ को आया। उन्होंने देखा कि सफाई मशीनों ने गंदगी या ब्रश गंदगी दूर कर दी। उन्होंने एक मशीन को डिजाइन करने के बारे में सोचा जो सही तरीके से धूल को साफ कर सके। बूथ द्वारा डिज़ाइन किये गए वैक्यूम क्लीनर्स 1901 में पहली बार कमर्शियली उपलब्ध हुए।
हबर्ट सेसिल बूथ ने पहला पॉवर्ड वैक्यूम क्लीनर की खोज की थी। गौरतलब है कि आमिर खान ने फिल्म 3 Idiots में वैक्यूम क्लीनर से बच्चे को जन्म दिया था। हबर्ट सेसिल बूथ की खोज से पहले वैक्यूम क्लीनर धूल-मिट्टी को सोखते नहीं थे बल्कि दूर फेकते थे। आज हबर्ट सेसिल बूथ की 147वीं जन्मतिथि है।
वह ब्रिटिश वैक्यूम क्लिनर ऐंड इंजिनियरिंग कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर भी बने। 1884 से 1898 में उन्होंने लंदन अम्युजमेंट पार्क के फेरी वील्स को डिजाइन किया। बेल्जियम में उन्होंने स्टील फैक्ट्री की पूरा डिजाइन बनाया। बूथ ने 1903 से 1940 तक लगातार इंजिनियरिंग का काम किया। बूथ की मृत्यु 14 जनवरी 1955 को इंग्लैंड के क्रॉयडॉन में हुई।
गूगल ने इस खास मौके पर एक एनिमेटेड डूडल बनाया है। इस डूडल को दो भागों में बांटा गया है। इसमें एक तरफ एक शख्स वैक्यूम क्लीनर के जरिए सफाई करता हुआ नजर आ रहा है और दूसरी तरफ एक घोड़ा गाड़ी खड़ी है जो वैक्यूम क्लीनर से जुड़ी हुई है। इस डूडल के जरिए गूगल ने ये दर्शाने की कोशिश की है कि हर्बट के इस आविष्कार के बाद सफाई करना कितना आसान हो गया।
1998 में, गूगल के संस्थापकों लैरी पेज और सर्जी बिन ने Google के दूसरे 'o' के पीछे एक छड़ी बनाई, यह दर्शाने के लिए कि वह बर्निंग मैन फेस्टिवल मनाने के लिए बाहर गए हैं। इसी के साथ गूगल डूडल्स की शुरुआत हुई। कंपनी ने तय किया कि वह सांस्कृतिक क्षणों को दर्शाने के लिए लोगो को सजाएंगे, लोगों को भी यह परिवर्तन खूब पसंद आया।
'वैक्यूम क्लीनर' शब्द का प्रयोग 1901 में पहली बार बूथ के आविष्कार को बाजार देने के लिए इस्तेमाल किया गया। बूथ ने पहले अपनी मशीन बेचने की कोशिश नहीं, सफाई के पैसे लिए। एक बार रॉयल मिंट की सफाई कर बाहर निकलते समय उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था क्योंकि उनकी मशीन ने सिक्कों से चांदी की धूल का बड़ा हिस्सा खींच लिया था और उसे खाली करना भूल गए थे।उ बूथे को 1901 में 18 फरवरी और 30 अगस्त को पहले पेटेंट्स मिले।
1901 में बूथ लंदन के एम्पायर म्यूजिक हॉल में एक प्रदर्शनी देखने गए थे, जहां उन्होंने एक मशीन देखा। यह मशीने कुर्सियों से धूल उड़ाती थी। तब बूथ ने सोचा अगर, धूल खींचने वाले यंत्र और बाहरी हवा के बीच कोई फिल्टर लगाकर धूल को कहीं इकट्ठा किया जा सके तो यह स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी होगा। इसके बाद उन्होंने बड़ी डिवाइस बनाई जिसे उन्होंने 'पफिंग बिली' नाम दिया। बूथ द्वारा बनाए गए क्लीनर आकार में बहुत बड़े थे और उन्हें तांगे या इक्के पर ले जाना पड़ता था।