देश भर के हजारों मोबाइल यूजर्स शुक्रवार (3 अगस्‍त) को अपने फोन में आधार नंबर लागू करनेवाली एजेंसी यूआईडीएआई का टॉल फ्री नंबर देखकर हैरान रह गए। इसके तुरंत बाद लोगों की निजता से जुड़ी चिंताएं सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगीं। इसके बाद यूआईडीएआई और दूरसंचार कंपनियों ने इस घटना में अपनी भूमिका होने से इनकार किया। देर रात गूगल ने एक बयान जारी कर कहा कि यह गलती उसकी तरफ से हुई है। गूगल ने अपने बयान में कहा कि ‘2014 में भारत के लिए इस्‍तेमाल होने वाले मोबाइल निर्माताओं को एंड्रॉयड रिलीज के सेटअप विजर्ड में अनजाने में UIDAI हेल्‍पलाइन नंबर और 112 हेल्पलाइन नंबर कोड किए गए थे और तब से वहीं हैं। चूंकि नंबर एक यूजर की कॉन्‍टैक्‍ट लिस्‍ट में होते हैं, ऐसे में नई डिवाइस पर भी वह नंबर आ जाता है।’

गूगल ने पूरे प्रकरण के लिए ‘माफी’ मांगते हुए कहा कि यह एंड्रॉयड डिवाइसेज में किसी तरह के अनधिकृत पहुंच का मामला नहीं हैं। यूजर्स अपने डिवाइसेज से मैनुअली इस नंबर पर को डिलीट कर सकते हैं। गूगल ने यह भी कहा कि वह अगले कुछ सप्‍ताह में सेटअप विजर्ड की नई रिलीज में इसे दुरुस्‍त कर लेगा।

यह है Google का बयान:

गूगल की सफाई आने के बावजूद कुछ सवाल हैं जो अभी भी बरकरार हैं। जैसे- 112 इमरजेंसी नंबर 2017 में लॉन्‍च हुआ तो 2014 की कोडिंग में उसे कैसे डाला जा सकता है। एक यूजर का दावा है कि उसने अमेरिका में फोन खरीदा और वहीं के ऑपरेटर का इस्‍तेमाल किया, इसके बावजूद उसके फोन में UIDAI का नंबर मौजूद था।

https://twitter.com/aadharscam/status/1025477180208242688

https://twitter.com/cybxr1998/status/1025480253060378624

यूआईडीएआई का कहना है कि एंड्रायड फोन्स में जो आधार हेल्पलाइन नंबर दिख रहा है, वह पुराना है और वैध नहीं है। आधिकारिक बयान में कहा गया, “यूआईडीएआई का वैध टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1947 है, जो पिछले दो सालों से ज्यादा समय से चल रहा है।” इस घटना में दूरसंचार उद्योग ने किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता का हाथ होने से इनकार किया है। दूरसंचार कंपनियों ने हालांकि इस मुद्दे पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनका भी यही कहना है, जो सीओएआई ने कहा है।