पिछले कुछ महीनों के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से डीपफेक जेनरेट किए जाने के मामलों में तेजी आई है। हाल ही में मशहूर एक्टर चिरंजीवी भी डीपफेक का शिकार हो गए और उन्होंने शिकायत में कहा कि कई पोर्नोग्राफिक वेबसाइट पर उनके अश्लील वीडियो कंटेंट अपलोड हुए हैं। इससे पहले भी डीपफेक के गलत इस्तेमाल को लेकर कई शिकायतें जानी-मानी हस्तियों और आम लोगों द्वारा की जा चुकी हैं।
भारत सरकार ने हाल ही में संसद में जानकारी दी थी देश एक बहुस्तरीय साइबर प्रतिक्रिया प्रणाली (multi-layered cyber response ecosystem) के जरिए ऑनलाइन नुकसानों, साइबर अपराधों और डीपफेक्स (Deepfakes) से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसमें सिर्फ कानून-व्यवस्था ही नहीं बल्कि संस्थागत, नियामक, रिपोर्टिंग व जनसंपर्क (public awareness) तंत्र भी शामिल हैं।
साइबर फ्रॉड का शिकार हो गए? जानिए ऑनलाइन-ऑफलाइन शिकायत करने और ट्रैक करने का पूरा तरीका
सरकार ने स्पष्ट किया कि वह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा संचालित डीपफेक, जिसमें सिंथेटिक ऑडियो, वीडियो और टेक्स्ट शामिल हैं। इससे होने वाले खतरों के प्रति पूरी तरह सचेत है। जानें कौन-कौन से कानून इस पर नकेल कसते हैं:
- -इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट (Information Technology Act, 2000-आईटी कानून) के तहत पहचान-चोरी, छद्मवेश, निजता उल्लंघन जैसी गतिविधियों के लिए कानूनी प्रावधान।
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- -डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट(Digital Personal Data Protection Act, 2023-DPDP कानून) के माध्यम से व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षित एवं स्वीकृति-आधारित प्रक्रिया सुनिश्चित करना।
- -भारती न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023-बीएनएस) के तहत झूठे व भ्रामक बयानों, अफवाहों व शरारतिक कथनों को दंडनीय बनाना।
- -इन्फोर्मेशनल टेक्नोलॉजी (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 (आईटी नियम, 2021) जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स (मध्यस्थ) को उचित सावधानी बरतने व गैरकानूनी सामग्री हटाने का निर्देश देते हैं।
कैसे काम करता है ये साइबर इकोसिस्टम?
आयोग और एजेंसी-स्तर पर
- -Indian Cyber Crime Coordination Centre (I4 C) राज्यों व केंद्र में साइबर अपराधों का समन्वय करती है।
- -CERT‑IN (भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल) नियमित रूप से एडवाइजरी जारी करता है, खासकर डीपफेक व एआई खतरों पर।
प्लेटफॉर्म व मध्यस्थों की भूमिका
- -प्लेटफॉर्म्स को शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा, 72 घंटों में कार्रवाई करनी होगी और 24 घंटों में निजता उल्लंघन जैसी सामग्री हटानी होगी।
- -बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (50 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर्स वाले) को ऑटोमैटिक टूल्स, स्रोत पहचान, अनुपालन रिपोर्ट तैयार करने जैसी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।
जन-साक्षरता व जागरूकता
- -सरकार हर साल साइबर सुरक्षा जागरूकता माह (Cyber Security Awareness Month), सुरक्षित इंटरनेट दिवस, आदि कार्यक्रम चलाती है।
- -यूजर्स को बताया जा रहा है कि ‘यह सामग्री गलत या भ्रामक हो सकती है’, खासकर जब डीपफेक या एआई-जेनरेटेड हो।
यह महत्वपूर्ण क्यों है?
डिजिटल लेन-देन, इंटरनेट एक्सेस और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के कारण साइबर खतरों का दायरा भी बढ़ा है। डीपफेक्स और एआई-जनित सामग्री से निजता, प्रतिष्ठा, और सार्वजनिक विश्वास पर असर पड़ सकता है।
अगर मौजूदा कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन हुआ तो देश आक्रामक साइबर हमलों, डेटा उल्लंघनों और गलत जानकारी के प्रसार को बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकता है।
सरकार की चुनौतियां और आगे का रास्ता
चुनौतियां: प्लेटफॉर्म्स के वैश्विक नेटवर्क, नए एआई-मॉडल्स, लॉफ्रेम की सीमाएं।
आगे का रास्ता क्या है?
नए एडवाइजरी और नियम-संशोधन करना। एआई-मॉडल्स के इस्तेमाल व उनके आउटपुट की विश्वसनीयता पर ध्यान देना। यूजर्स व प्लेटफॉर्म्स में नियमित तौर पर जागरूकता फैलाना।
