कोई व्यक्ति आज के वक्त में कितनी उम्र में अरबपति बन सकता है? यहां एक ऐसा सवाल है जिसे जवाब देना आज के समय में काफी मु्श्किल हो गया है। कोई व्यक्ति 50 उम्र में अरबपति बना जाता है तो कोई 55 की उम्र में भी करोड़पति तक नहीं बन पाता है। लेकिन आज हम आपको भारतीय मूल के 22 साल के दो ऐसे दोस्त (आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा) के बारे में बता रहे हैं,जो दुनिया के सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति बन गए हैं।

उन्होंने अपने दोस्त ब्रेंडन फूडी के साथ तेजी से बढ़ते टेक स्टार्टअप मर्कोर को को-फाउंड किया, यह एक ऐसी कंपनी है जिसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए ग्लोबल हायरिंग को बदल दिया है। पहले, Perplexity AI (परप्लेक्सिटी एआई) के CEO अरविंद श्रीनिवास 30 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के अरबपति बने थे।

कौन हैं आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा?

आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा कैलिफोर्निया के बे एरिया में पले-बढ़े, जहां वे अपने स्कूल के दिनों में मिले थे। उनकी दोस्ती बेलार्माइन कॉलेज प्रिपरेटरी में शुरू हुई, जो अपने मजबूत एकेडमिक कल्चर के लिए जाना जाने वाला स्कूल है। वे दोनों ही शानदार डिबेटर थे और साथ मिलकर उन्होंने एक ही साल में तीनों बड़े U.S. नेशनल पॉलिसी डिबेट टूर्नामेंट जीतने वाली पहली टीम बनने का एक बड़ा मुकाम हासिल किया। इसका जिक्र उनके लिंक्डइन प्रोफाइल में है।

शुरुआत में आदर्श कंप्यूटर साइंस में फोकस करते थे, बाद में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में चले गए, जबकि सूर्या ने जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल स्टडीज कीं। उनके करीबी दोस्त और अब को-फाउंडर, ब्रेंडन फूडी ने भी जॉर्जटाउन में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की।

अपने अच्छे एकेडमिक रास्तों के बावजूद, जब उनके स्टार्टअप आइडिया को रफ़्तार मिलने लगी, तो तीनों ने आखिरकार अपनी यूनिवर्सिटी छोड़ने का फैसला किया।

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उनका अनुभव क्या है?

आदर्श कहते हैं कि उन्होंने मजबूत टेक्निकल स्किल्स बनाईं जिसने उन्हें मर्कोर में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर का रोल निभाने के लिए तैयार किया। सूर्या, अपने ग्लोबल मामलों और पॉलिसी बैकग्राउंड के साथ, अपने आप चेयरमैन के रोल में आ गए। ब्रेंडन फ़ूडी ने CEO का पद संभाला और बिजनेस ग्रोथ और स्ट्रैटेजी की देख-रेख की।

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क्या है मरकोर?

मर्कोर तीनों की कोशिश है कि दुनिया भर में हायरिंग प्रोसेस को मॉडर्न बनाया जाए। कंपनी AI-पावर्ड वर्चुअल इंटरव्यूअर का इस्तेमाल कैंडिडेट, खासकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर को टैलेंट ढूंढने वाली कंपनियों से मिलाने और उनका वैल्यूएशन करने के लिए करती है। यह प्लेटफॉर्म शुरू में भारतीय इंजीनियरों को U.S.-बेस्ड फर्मों में रोल दिलाने में मदद करने पर फोकस करता था, लेकिन तब से इसने अपनी ग्लोबल पहुंच बढ़ा ली है।

स्टार्टअप की तेजी से बढ़ोतरी ने टेक की दुनिया को चौंका दिया। एक बड़े फंडिंग राउंड ने मर्कोर की वैल्यू लगभग $10 बिलियन लगाई, जिससे इसके तीन युवा फाउंडर तुरंत अरबपति बन गए। उनकी इस कामयाबी ने दूसरे युवा टेक दिग्गजों का पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया, जिससे वे अब तक के सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति बन गए।