आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने कई इंडस्ट्री में घुसपैठ कर ली है, और पेशेवर लोग अब इस टूल को अपने रोज़मर्रा के कामों में शामिल कर रहे हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स ने भविष्य को भांपते हुए चेतावनी दी है कि केवल तीन करियर ही सुरक्षित रहेंगे, जबकि बाकी सभी नौकरियां का 2045 तक पूरी तरह से AI द्वारा खत्मा किया जा सकता है। थिंक टैंक RethinkX के रिसर्च डायरेक्टर एडम डॉर ने हाल ही में भविष्यवाणी की है कि AI और रोबोटिक्स अधिकतर पुरानी नौकरियों (human jobs की जगह ले लेंगे। हाल के दिनों में कई दिग्गजों जैसे बिल गेट्स, सुंदर पिचाई, एलन मस्क ने एआई के नौकरियां खाने के मुद्दे पर अपनी राय भी रखी है।
‘द गार्जियन’ से बात करते हुए एडम डॉर ने जोर देकर कहा कि मशीनें इतनी तेजी से विकसित हो रही हैं कि वे जल्द ही स्पीड, सटीकता और लागत-कुशलता (cost-efficiency) के मामले में इंसानों को पीछे छोड़ देंगी। डॉर ने समझाया, “यह कोई धीमा और क्रमिक परिवर्तन नहीं है, बल्कि एक तेज और विघटनकारी बदलाव है।”
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1500 से ज्यादा केस स्टडीज
उनके रिसर्च जो अब तक की 1,500 से अधिक तकनीकी बदलावों की केस स्टडीज़ पर आधारित है, उसके मुताबिक, जब कोई इनोवेशन खुद को बेहतर साबित कर देता है, तो वह आमतौर पर मौजूदा सिस्टम्स को केवल 15 से 20 सालों के भीतर पूरी तरह से बदल देता है। AI अब उसी पैटर्न पर चल रहा है, लेकिन इस बार एक अभूतपूर्व ट्विस्ट के साथ। मशीनें अब सीधे ह्यूमन लेबर की जगह ले रही हैं।
डॉर ने चेतावनी है कि अब तक ऑटोमेशन से सुरक्षित माने जाने वाले सफेदपोश (white-collar) नौकरियां भी तेजी से खतरे में आ रहे हैं। ऐसे काम जो नियमित मानसिक कामों और पूर्वानुमानित प्रक्रियाओं पर आधारित हैं, वे खासतौर पर जोखिम में हैं।
उन्होंने कहा, “AI सिस्टम्स इतने सक्षम और किफायती होते जा रहे हैं कि वे जल्द ही लगभग हर सेक्टर में इंसानों से बेहतर क्वॉलिटी वाले नतीजे देने में सक्षम होंगे।”
हालांकि अधिकतर इंडस्ट्रीज पर AI का गहरा प्रभाव पड़ेगा, लेकिन डॉर का मानना है कि कुछ पेशे अभी भी सुरक्षित हैं। ये वे भूमिकाएं हैं जिनमें भावनात्मक बुद्धिमत्ता (emotional intelligence), जटिल नैतिक फैसले (complex ethical reasoning), और गहरा मानवीय विश्वास (deep human trust) शामिल होता है।
कौन-कौन से पेशे रहेंगे सुरक्षित?
उन्होंने कहा, “राजनीतिज्ञ, सेक्स वर्कर और नैतिक विशेषज्ञ (ethicists) जैसी कुछ ही भूमिकाएं हैं जो संभवतः इंसानों के हाथ में बनी रह सकती हैं।”
लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि इन नौकरियों में भी इतने बड़े पैमाने पर रोजगार नहीं मिल पाएगा कि ऑटोमेशन से बेघर हुए अरबों लोगों को संभाला जा सके।
डॉर का अनुमान है कि अगर आर्थिक संरचनाओं में बड़े बदलाव नहीं किए गए, तो असमानता और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और भी बदतर हो जाएगी। हालांकि, वह एक ऐसी दुनिया की कल्पना भी करते हैं जहां काम की जरूरत नहीं होगी और संसाधनों की भरमार होगी।
उनके अनुसार, AI एक ऐसा समाज बना सकता है जहां “मानव की जरूरतें बड़े स्तर पर मशीनों द्वारा पूरी की जाएंगी,” जिससे लोगों को पारंपरिक श्रम से पूरी तरह मुक्त किया जा सकेगा। लेकिन इस सपने को साकार करने के लिए जरूरी होगा कि हम “ दोनों ही प्रयोगों में काम, मूल्य और स्वामित्व (work, value, and ownership) को कैसे परिभाषित करते हैं।”
