सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में धर्म परिवर्तन कानून के तहत दर्ज कई FIR रद्द कीं
जस्टिस पारदीवाला, जिन्होंने 158 पृष्ठों का निर्णय लिखा। उन्होंने पाया कि एफआईआर कानूनी खामियों, प्रक्रियागत खामियों और विश्वसनीय सामग्री के अभाव के कारण दोषपूर्ण थीं। उन्होंने फैसला सुनाया कि इस तरह के अभियोजन को जारी रखना "न्याय का उपहास" होगा।