‘वजीर’ की कई सारी बातें अच्‍छी हैं। सबसे पहली तो यही कि फिल्‍म को कहानी से पूरा सपोर्ट मिला है। फिल्‍म में कम से कम एक प्‍लॉट है। ब्‍लॉकबस्‍टर्स की शक्‍ल में पिछली कई प्‍लॉटविहीन फिल्‍में देखने के बाद ‘वजीर’ एक राहत के तौर पर सामने आती है। अगली अच्‍छी बात यह कि इस फिल्‍म से एक्‍टर अमिताभ बच्‍चन की वापसी हुई है। तीसरी बात यह है कि फिल्‍म की अवधि हमारे कीमती वक्‍त का सम्‍मान करते हुए महज डेढ़ घंटे रखी गई है।

वजीर ऐसे दो चोट खाए लोगों की कहानी है, जो अलग अलग उम्र और मिजाज के हैं, लेकिन एक खास मकसद के लिए साथ आते हैं। फिल्‍म में फरहान अख्‍तर ने दानिश अली का किरदार निभाया है, जो एक निजी त्रासदी से काफी धीमे धीमे उबर रहे हैं। उनकी पत्‍नी रुहाना (अदिति राव हैदरी) भी तकलीफ में हैं, जो एक अलग एकाकी जीवन में खोई हुई हैं। दानिश की मुलाकात व्‍हीलचेयर पर जिंदगी गुजार रहे पंडित ओंकारनाथ धर (अमिताभ बच्‍चन) से होती है। इसके बाद, दानिश पंडित ओंकारनाथ की बहुआयामी दुनिया में फंस जाता है।

फिल्‍म में दानिश और रुहाना के प्रेम संबंधों को विकसित करने में वक्‍त खराब नहीं किया गया है। फिल्‍म में फरहान अख्‍तर एंटी टेररिस्‍ट अफसर की भूमिका में बेहद जंचे हैं। फिल्‍म की सबसे खड़ी खासियत है एक मिस्‍ट्री, जिसे हल करने में फरहान दिमाग और ताकत, दोनों का इस्‍‍तेमाल करते नजर आते हैं। वहीं, शतरंज के खिलाड़ी अमिताभ बच्‍चन कुछ दृश्‍यों में अपने एक्‍ट‍िंग स्‍क‍िल्‍स का जौहर दिखाते नजर आते हैं। फिल्‍म का पहला हाफ इतना तेज है कि मैं बिना हिले डुले इसे देख गई। डर था कि कहीं कोई हिस्‍सा छूट न जाए। बाद में प्‍लॉट में टि्वस्‍ट आता है और वजीर नाम की शख्‍स‍ियत सामने आती है। साथ में जुड़ता है खूनखराबे और मौत का सिलसिला। जिंदगी भी एक शतरंज की बाजी की तरह है और इस खेल में वजीर की अहमियत क्‍या है, इसे खूबसूरत ढंग से दिखाया गया है।

हालांकि, अगर सेकंड हाफ भी पहले की तरह कसा हुआ होता तो फिल्‍म ज्‍यादा दिलचस्‍प होती। फिल्‍म की रफ्तार की राह में डायरेक्‍टर बिजॉय नांबियार की अपनी खुद की स्‍टाइल रोड़े अटकाती है। नांबियार विशाल बैकड्रॉप्‍स पर जोर देते हैं, जो बेहद प्रभावशाली भी होते हैं, लेकिन इससे फिल्‍म की रफ्तार धीमी होती है। हालांकि, इसी क्रम में ताकत के भूखे राजनेता के तौर पर मानव कौल हमारा ध्‍यान खींचते हैं। फिल्‍म में कुछ कमियां हैं, इसके बावजूद ‘वजीर’ में देखने लायक बहुत कुछ है। इस फिल्‍म से यह बात एक बार फिर साबित होती है कि प्‍लॉट वाली फिल्‍मों को कोई नहीं पछाड़ सकता। विधु विनोद चोपड़ा और अभिजात जोशी ने स्क्रिप्‍ट लिखी है। बजोड़ एक्‍ट‍िंग परफॉर्मेंस भी किसी फिल्‍म की धुरी होती है। ऐसे में फरहान और अमिताभ को एक दूसरे से भिड़ते हुए देखना फिल्‍म का सबसे सुनहरा पहलू है।

इस फिल्‍म को साल की संतोषजनक शुरुआत के तौर पर देखा जा सकता है।

वजीर की स्‍टार कास्‍ट: अमिताभ बच्‍चन, फरहान अख्‍तर, अदिति राव हैदरी, मानव कौल, नील नितिन मुकेश, सीमा पाहवा
डायरेक्‍टर: बिजॉय नांबियार