`रॉकी हैंडसम’ एक ऐसी एक्शन फिल्म है, जिसे देखते ही लग जाता है कि यह किसी हॉलीवुड मूवी की कॉपी है। दरअसल, ये कोरियाई फिल्म `ए मैन फ्रॉम नोवेयर’ का भारतीय संस्करण है। बस फर्क इतना है कि 2010 में रिलीज हुई कोरियाई फिल्म सुपरहिट थी। ‘रॉकी हैंडसम’ के बारे में ऐसी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। बिल्कुल भी नहीं।
एक अच्छी सी कहानी का काफी ढीला फिल्मांकन किया गया है। इसी वजह से कुछ अच्छे एक्शन सीक्वेंस होने के बावजूद फिल्म पसंद नहीं आती। जॉन अब्राहम ने रॉकी उर्फ कबीर अहलावत नाम के ऐसे शख्स का किरदार निभाया है। कबीर जो सेना में रहा लेकिन पत्नी रुक्षीदा (श्रुति हासन) के गुजरने के बाद गोवा में एक शांत जीवन बिता रहा है। उसके बगल में एक बच्ची नाओमी (दिया चालवाड) रहती है, जिसकी मां ड्रग्स कारोबारियों के चंगुल में फंस गई है। नाओमी और रॉकी के बीच में एक कोमल रिश्ता बन जाता है। फिर एक दिन रॉकी को पता चलता है कि नाओमी का अपहरण कर लिया जाता है। बाद में ये राज खुलता है कि नाओमी का अपहरण करने वाले ड्रग्स के रैकेट में शामिल लोग अंगों (किडनी, आंखों) के खरीद-फरोख्त के धंधे में भी हैं। अब रॉकी के जीवन का मकसद नाओमी को बचाना बन जाता है। क्या वह ऐसा कर पाएगा? इसी सवाल के सहारे कहानी आगे बढ़ती है, जिसमें कई एक्शन सीक्वेंस भी आते हैं।
फिल्म में कई कमियां हैं। खलनायकी का स्तर बेहद सतही है। खलनायक केविन की भूमिका फिल्म के निर्देशक निशिकांत कामत ने ही निभाई है। निशिकांत बतौर निर्देशक `फोर्स’ और `दृश्यम’ जैसी फिल्में बना चुके हैं। फिल्म में वे अकेले खलनायक नहीं हैं। केविन का एक भाई है जो बेहद अजीबोगरीब हरकतें करता है और इस वजह से विलेन कम और जोकर अधिक लगता है। खुद निशिकांत कामत ने केविन की जो भूमिका निभाई है, वो बिलकुल सपाट है। कामत जी, सिर्फ गंजा हो जाने से कोई अमरीश पुरी नहीं बन जाता। फिल्म में कई गाने हैं पर कोई भी याद रखने लायक नहीं है। कबीर का रोमांटिक पक्ष भी फिल्म में बहुत कम जगह घेरता है। वैसे जॉन अहब्राहम रोमांटिक भूमिका में बहुत ज्यादा जमते नहीं हैं। शायद इसी वजह से निर्देशक ने उनके एक्शन वाले पक्ष को उभारा है। रॉकी का चरित्र बोलता बहुत कम है इसलिए इसलिए दमदार संवाद की संभावना वैसे भी नहीं है। नाआमी की भूमिका में दिव्या चालवाड ने अच्छा काम किया है।
निर्देशक- निशिकांत कामत
कलाकार- जानी अब्राहम, श्रुति हसन, नतालिया कौर, निशिकांत कामत, दिव्या चालवाड, शरद केलकर