सबसे पहले फिल्म की स्टारकास्ट की बात। परी फिल्म में अनुष्का शर्मा, परमब्रत चटर्जी, रजत कपूर, ऋताभरी चक्रवर्ती, मानसी मुल्तानी मुख्य भूमिका निभायी है। वहीं फिल्म का निर्देशन प्रोसित रॉय ने किया है। अब फिल्म की कहानी की बात करें तो जैसे कि अपने नाम से यह कोई परीकथा लगती है, उसके ठीक विपरीत है। फिल्म को शुरुआत से ही गीतों और बैकग्राउंड म्यूजिक की मदद से सुपर नैचुरल हॉरर फिल्म बनाने की भरपूर कोशिश की गई है। फिल्म को इस हद तक डरावना बनाने की कोशिश की गई कि हर फ्रेम में अंधेरा, खून, जंजीर से बंधी औरत और बुराई जैसे फैक्टर घुसाने की कोशिश की गई है। बहरहाल हैरानी की बात है कि जब इस फिल्म के बिखरे टुकड़ों को जोड़ने की कोशिश की जाती है, तब तक फिल्म आधी खत्म हो चुकी होती है। इसके बाद फिल्म में बैकग्राउंड का पूरा विवरण शुरु हो जाता है और इस तरह से कई अधूरे सवाल छोड़कर यह फिल्म खत्म हो जाती है।

फिल्म में ये भी देखना दिलचस्प था कि किस तरह से रहस्यमयी रुखसाना (अनुष्का शर्मा) एक जंगल के बीचों-बीच स्थित झोपड़ी से निकलती है? फिर फिल्म के अन्य किरदार अर्नब को ऐसा क्यों लगता है कि उसका रुखसाना से कोई संबंध है? इसके साथ ही एक फूटी आंख वाला इंसान (रजत कपूर) क्यों हथियार बंद लोगों के साथ घूमता रहता है? बहरहाल इन बातों को ध्यान में रखते हुए कह सकते हैं कि फिल्म डराती कम और बचकानी ज्यादा लगती है। फिल्म परी पिछले साल बांग्लादेश में हुई एक घटना से जरुर मेल खाती है, हालांकि फिल्म में इसके पीछे कोई तर्क नहीं दिया गया है। परी फिल्म अपनी ही कही बातों में उलझकर रह गई है।

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अभिनय की बात करें तो अनुष्का शर्मा ने अच्छी कोशिश की है, लेकिन कमजोर कहानी के कारण उनके पास भी कुछ करने के लिए नहीं था। अनुष्का शर्मा ने अपने प्रोडक्शन हाउस से जो भी गिनी-चुनी फिल्मे निकाली हैं, यह फिल्म अभी तक सबसे कमजोर है। अनुष्का शर्मा ने अपनी पिछली फिल्म फिल्लौरी में भी कुछ भूत-प्रेतों की कहानी कहने की कोशिश की थी। ऐसा लगता है कि अनुष्का हॉरर जॉनर में कुछ हटकर करना चाहती हैं, लेकिन उनकी कोशिश के रुप में परी पूरी तरह से निराश करती है।

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