Dangal movie cast: आमिर खान, साक्षी तंवर, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, जायरा वसीम, सुहानी भचनागर, रित्विक साहोरे, अपारशक्ति खुराना, गिरिश कुलकर्णी
Dangal movie director: नितेश तिवारी
Dangal movie rating: तीन स्टार
एक समय आता है जब एक स्टार एक ऐसे रोल के लिए तैयारी करता है जो उसे पता कि उसे खूबसूरत नहीं दिखाएगा। आमिर खान बूढ़े दिख रहे हैं, पेट बाहर निकला हुआ है। दाढ़ी बढ़ी हुई है। केवल उनके बड़े कान ही उनकी पहचान बता रहे हैं कि वह आमिर खान हैं। बाकी वह पूरी तरह से अपने कैरेक्टर में ढले हुए हैं। हम इस फिल्म से अंदाजा लगा पाएंगे कि वह भविष्य में किस तरह की परफॉर्मेंस देने वाले हैं। बतौर महावीर फोगट, एक हारा हुआ रेस्लर, स्ट्रिक्ट इंसान , ध्यान रखने वाला पति और चार बेटियों का पिता। आप फिल्म में देखेंगे कि किस तरह आमिर ने इस किरदार में घुसकर इसे अपना बनाने की कोशिश की है।
दंगल की इस कहानी पर भरोसा करना हमारे लिए मुश्किल था। क्योंकि इसमें असल हरियाणा के रेस्लर महावीर सिंह फोगट की जिंदगी के कई असल एलिमेंट उठाए गए हैं। जिन्होंने अपनी दो बेटियों गीता (फातिमा सना शेख) और बबीता (सान्या मल्होत्रा) को रेस्लिंग की ट्रेनिंग दी और उन्हें विनर बनाया।
दंगल दो पैरामीटर पर काम करती है। एक तो सीधा वह स्पोर्ट जिस पर यह फिल्म बनाई गई है। जो लोग इस खेल को खेलते हैं उन्हें इसमें अखाड़े की मिट्टी की खुशबू आएगी और दाव-पेंच देखने को मिलेंगे। फिल्म में कड़ी मेहनत और लगन दिखाई गई है। जिसकी मदद से हमें चैंपियन्स मिलते हैं। दूसरा फेमिनिस्ट स्टेटमेंट है कि लड़कियां लड़कों के बराबर हैं। जब महावीर अपनी बेटियों को ट्रेनिंग देने का फैसला लेते हैं तो उन्हें तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। लेकिन वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटते। इसके साथ ही उनकी मां (साक्षी तंवर) को भी बहुत सुनने को मिलता है जो बेटा पैदा नहीं कर पाई थीं।
खाप पंचायतों के जरिए चलने वाले राज्य हरयाणा में जहां बेटियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता है। या ऑनर किलिंग के नाम पर बेटियों की हत्या की जाती है। ऐसे में किसी बड़े स्टार का एक फिल्म में ऐसा मैसेज देना बहुत अहम होता है। वह रेस्लर अपनी ‘छोरियों’ पर भरोसा करता है। उसका कहना ठीक भी साबित होता है कि ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के’। यह बात असल फोगट बहनों की जिंदगी में दिखती हैं जिन्होंने देश और विदेशों में कई मेडल अपने नाम किए।
दो एक्टर्स जायरा वसीम और सुहानी भटनागर जिन्होंने गीता और बबीता के बचपन का रोल किया है। उन्होंने अपनी एक्टिंग से किरदान में जान डाल दी है। इसके बाद फातिमा शेख और सान्या मल्होत्रा जिन्होंने फिल्म में आगे बहनों का रोल निभाया है। उन्होंने भी बखूबी अपना काम किया है। खासतौर पर फिल्म के सेकेंड हाफ में जहां वह ज्यादा समय रेस्लिंग मैट पर बिताती हैं। ये सीखने में किस तरह हारना है और किस तरह जीतना है।
फिल्म में कई मोड़ ऐसे होंगे जहां आप पहले से समझ जाएंगे कि आगे क्या होने वाला है। कई जगह फिल्म फ्लैट दिखेगी। आपको लगेगा का फिल्म को और टाइट होना चाहिए था। लेकिन इस सबके ऊपर आप फिल्म से इंप्रेस होकर बाहर निकलेंगे। आमिर खान ने फिल्म को पूरी तरह से संभाला है। उन्होंने इसमें किसी स्टार पावर का सहारा नहीं लिया। यह एक ऐसी फिल्म है जिसका कुछ मतलब है, कोई संदेश है।