Pukhraj Ke Fayde (Yellow Sapphire): पुखराज देवताओं के गुरु बृहस्पति का रत्न माना जाता है। इसलिए ये सबसे अधिक सूट बृहस्पति की राशि धनु और मीन वालों को ही करता है। जिन जातकों की कुंडली में गुरू ग्रह पीड़ित हो उन्हें पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। कहते हैं कि इस रत्न को पहनने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है। लेकिन ज्योतिष अनुसार अगर ये रत्न सूट न करे तो इसके गंभीर परिणाम भी जल्द ही देखने को मिल जाते हैं। जानिए पुखराज किन्हें, कब और क्यों धारण करना चाहिए।

पुखराज रत्न: पुखराज पीले रंग का एक बहुत ही मूल्यवान रत्न है जो कि बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए पहना जाता है। पुखराज रत्न तभी आपको फायदा करेगा जब वह आपकी कुंडली के हिसाब से अनुकूल हो। वैसे तो पुखराज कई रंगो के हो सकते हैं लेकिन बृहस्पति के लिये पीले रंग के पुखराज को ही धारण किया जाता है।

पुखराज रत्न के लाभ: मान्यता है कि इस रत्न को पहनने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। शिक्षा और करियर के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। विवाह में आ रही बाधाएं दूर होने लगती हैं। प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षकों, वकीलों, न्यायधीशों व राजनेताओं के लिए ये रत्न वरदान साबित हो सकता है लेकिन जब ये सूट कर जाये। (यह भी पढ़ें- अंक ज्योतिष: इस मूलांक वालों पर सूर्य देव की रहती है विशेष कृपा, इनके जीवन में धन-धान्य की नहीं होती कमी)

किन्हें पहनना चाहिए और किन्हें नहीं: जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति का शुभ प्रभाव कम हो उन्हें इस रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है। जिन लोगों की मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशि होती है उनके लिए पुखराज शुभ माना जाता है। लेकिन किसी ज्योतिष की सलाह पर ही इसे धारण करना चाहिए। वहीं वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ वालों को पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। पुखराज पन्ना, नीलम, हीरा, गोमेद व लहसुनियां के साथ भी नहीं पहनना चाहिए। अगर कुंडली में बृहस्पति ग्रह छठें, आठवें व 12वें भाव का स्वामी है तब भी पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। (यह भी पढ़ें- अगस्त में मेष, वृषभ समेत इन राशियों को करियर में जबरदस्त लाभ होने की संभावना, देखें क्या आपकी राशि है इसमें शामिल?)

पुखराज धारण करने की विधि: इस रत्न को गुरुवार के दिन धारण किया जाता है। इसे धारण करने से पहले पीली वस्तुओं जैसे केला, पीले वस्त्र, हल्दी इत्यादि चीजों का दान जरूर कर लेना चाहिए। पुखराज सवा 5, सवा 9 या फिर सवा 12 रत्ती की मात्रा में धारण करना लाभकारी माना जाता है। इसे धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से इसकी विधिवत् पूजा करा लेनी चाहिए। (यह भी पढ़ें- 2021 से 2025 तक कब किस राशि पर रहेगी शनि ढैय्या और कौन सी राशियां इससे रहेंगी मुक्त, जानिए)