Eid-E-Milad-un-Nabi 2019 Date: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। इनका जन्म इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के मुताबिक तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के12वें दिन मक्का में हुआ था। मोहम्मद साहब इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर थे। इस बार मिलाद-उन-नबी 09 नवंबर की शाम से शुरू हो रहा है जो 10 नवंबर की शाम तक चलेगा।
मोहम्मद साहब का पूरा नाम मोहम्मद इब्र अब्दुल्लाह इब्र अब्दुल मुत्तलिब था। इनके वालिद (पिता) का नाम अब्दुल्लाह और वालदा (माता) का नाम बीबी अमीना था। इस्लाम धर्म में ऐसी मान्यता है कि 610 ईस्वी में मक्का के नजदीक हीरा नाम की गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। मोहम्मद साहब अपने इसी ज्ञान को इस्लाम धर्म के ग्रंथ कुरान में जिक्र किया। साथ ही इसका उपदेश भी दिया।
इस्लाम धर्म के जानकारों के मुताबिक ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर मोहम्मद साहब के सांकेतिक पैरों के चिह्न पर इबादत की जाती है। इस्लाम धर्म के अनुयायी इस पर्व को मनाने के लिए रातभर जागते हैं और दुआएं मांगते हैं। इसके साथ पैगंबर मोहम्मद साहब के उपदेश को पढ़ा जाता है और उन्हें याद किया जाता है। इस पर्व को मनाने के लिए इस्लाम धर्म के अनुयायी दरगाह और मक्का-मदीना जाकर इबादत करते हैं। इसके अलावा इस दिन को शिया और सुन्नी समुदाय अलग-अलग ढंग से मनाते हैं।

Highlights
हजरत मोहम्मद का कहना है कि सबसे अच्छा आदमी वह है जिससे मानवता की भलाई होती है। साथ ही उन्होंने कहा था कि जो ज्ञान का आदर करता है, वह मेरा आदर करता है। ज्ञान को ढूंढने वाला अज्ञानियों के बीच वैसा ही है जैसे मुर्दों के बीच जिंदा।हरजरत मोहम्मद ने कहा था कि भूखे को खाना दो, बीमार की देखभाल करो, अगर कोई अनुचित रूप से बंदी बनाया गया है तो उसे मुक्त करो, संकट में फंसे प्रत्येक व्यक्ति की सहायता करो, भले ही वह मुसलमान हो या किसी और धर्म का।
पैगंबर मोहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था। वह इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर थे। उनका जन्म मक्का शहर में हुआ। मक्का के पास हीरा नाम की गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया। हजरत मोहम्मद ने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की विधवा से शादी की। उनके बच्चे हुए, लेकिन लड़कों की मृत्यु हो गई। उनकी एक बेटी का अली हुसैन से निकाह हुआ। उनकी मृत्यु 632 ई. में हुई। उन्हें मदीना में ही दफनाया गया।
भूखे को खाना दो, बीमार की देखभाल करो
अगर कोई अनुचित रूप से बंदी बनाया गया है तो उसे मुक्त करो
आफत के मारे प्रत्येक व्यक्ति की सहायता करो
भले ही वह मुसलमान हो या गैर मुस्लिम
पैगंबर हजरत मोहम्मद का पूरा नाम मोहम्मद इब्र अब्दुल्लाह इब्र अब्दुल मुत्तलिब था। इनका जन्म मक्का नाम के शहर में हुआ था। इनके वालिद का नाम अब्दुल्लाह और वालदा का नाम बीबी अमीना था। ऐसा कहा जाता है कि 610 ईसवीं में मक्का के पास हीरा नाम की गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. वहीं बाद में मोहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की शिक्षाओं का पालन और उपदेश दिया।
हजरत मोहम्मद का कहना है कि सबसे अच्छा आदमी वह है जिससे मानवता की भलाई होती है। साथ ही उन्होंने कहा था कि जो ज्ञान का आदर करता है, वह मेरा आदर करता है। ज्ञान को ढूंढने वाला अज्ञानियों के बीच वैसा ही है जैसे मुर्दों के बीच जिंदा।
ईद-मिलाद-उन-नबी त्योहार को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब (Prophet Hazrat Muhammad) के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन रात भर प्रार्थनाएं चलती हैं। जुलूस निकाले जाते हैं। सुन्नी मुसलमान इस दिन हजरत मोहम्मद के पवित्र वचनों को पढ़ते हैं और याद करते हैं। वहीं, शिया मुसलमान मोहम्मद को अपना उत्तराधिकारी मानते हैं।
शिया समुदाय यह मानता है कि ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर पैगंबर मुहम्मद ने हजरत अली को अपना उत्तराधिकारी चुना था। जबकि सुन्नी समुदाय इस दिन प्रार्थना सभाओं को आयोजन करता है। पैगंबर मोहम्मद साहब का संदेश था कि सबसे अच्छा इंसान वही है जो मानवता का पालन करता हो। साथ ही मोहम्मद साहब ने यह भी कहा था कि जो ज्ञान का आदर करता है वह उनका सम्मान करता है।
हजरत मोहम्मद ने शिक्षा दी थी कि जो भूखा है उसे भोजन दो और जो बीमार है उसकी परवरिश करो। साथ ही अगर किसी को गलती से बंदी बना लिया गया है तो उसे आजाद कर देना चाहिए। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन एक दूसरे के प्रति दयालु होने की प्रेरणा भी दी जाती है।