सुयोधन का अर्थ होता है भीषण आघातों सहने वाला। दुर्योधन का जन्म माता गांधारी की कोख से हुआ। जन्म से ही दुर्योधन विवादों और कई लोगों का महत्वाकांक्षाओं का बलि चढ़ा। जानकारों के अनुसार माता कुंती के पहले संतान पैदा हो गई। जिसकी वजह से गांधारी को बड़ा दुख हुआ। गांधारी सोचने लगी की अब उसका पुत्र राज्य का अधिकारी नहीं बन पाएगा। दुखी होकर गांधारी ने अपने गर्भ पर प्रहार करके उसे नष्ट करने की कोशिश की। प्रहार होने के कारण बच्चा पैदा तो हुआ लेकिन वो काफी कमजोर पैदा हुआ। कहा जाता है कि उसे बचाने के लिए हस्तिनापुर समेत कई आसपास के राज्यों के वैद्य लगे। बहुत मेहनत के बाद यह बच्चा बच पाया। इसके बाद इस बच्चे को सुयोधन कहा गया।

बचपने से ही इस बच्चे पर महत्वाकांक्षाओं का दबाव डाला गया। उनकी माता चाहती थी कि वो उसका बेटा राजा बने। बचपन से ही इस बच्चे को पांडव पुत्रों से घृणा हो गई। जब इसे पता चला कि युधिष्ठिर राज्य का भावी राजा है तो वो कुंठा से भर उठा। जिस राज्य को वह राज्य की संपत्ति समझ रहा था अब वो दूर जा रही थी। यहीं से सुयोधन से ‘दुर्योधन’ का जन्म हुआ।

पांडव पुत्रों से दुर्योधन इतनी नफरत करता था कि उसने इन्हें मारने के लिए मामा शकुनी की सहायता से खत्म करने के लिए कई योजनाएं बनाई। उन्होंने भीम को मारने के लिए गंगा ने फेंक दिया। भीम के अवाला दुर्योधन ने लाक्षाग्रह में पांडवों को जलाने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाया।

जब पांडव बारह साल का वर्ष वनवास काटके आए तो दुर्योधन ने उन्हें सूई की नोक के बराबर भी भूमि देने के इंकार कर दिया। जब वासुदेव कृष्ण शांति प्रस्ताव लेकर कुरु सभा में गए जब उसे भी दुर्योधन ने ठुकरा दिया। इसके बाद रिश्ते बिगडते चल गए।