भगवान विश्‍वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार वे धरती के पहले आविष्कारक और इंजीनियर थे। उन्‍होंने देवी-देवताओं के लिए उनके भवनों और समय-समय पर अस्‍त्र-शस्‍त्रों का भी सृजन किया। आज यानी 17 सितंबर को पूरे देश में उनकी जयंती मनाई जा रही है। विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्राति के दिन की जाती है। मान्यताओं के अनुसार जितने भी उपकरण एवं टूल्स होते हैं उन सभी पर विश्वकर्मा का प्रभाव होता है। यही वजह है कि विश्‍वकर्मा जयंती के मौके पर लोग अपने कार्यस्थल पर मशीनों और उपकरणों की पूजा करते हैं। लेकिन पूजा के समय विश्वकर्मा भगवान की इस आरती को जरूर पढ़ें…

विश्वकर्मा पूजा से संबंधित पूरी जानकारी मिलेगी यहां…

विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Aarti In Hindi) :

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥4॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥5॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥

सुनें विश्वकर्मा जी के भोजपुरी भजन 

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा॥

शुभ मुहूर्त: 17 सितंबर दिन मंगलवार को पूरे देश में विश्वकर्मा जयंति मनाई जा रही है। संक्रांति का पुण्य काल सुबह 7 बजकर 2 मिनट से शुरु हो चुका है। सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। उसके बाद 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल है और शाम 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक राहुकाल रहेगा। ये अशुभ मुहूर्त माने जाते हैं। इन समयों को छोड़कर दिन में किसी भी समय विश्वकर्मा पूजा कर सकते हैं।