Vishu 2020 Date in India: केरल राज्य में मलयालम महीने में मेष संक्रांति के दिन विशु कानी का पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार को लोग नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। विशु कानी पर्व के द्वारा मलयाली लोग ज्योतिष नववर्ष का स्वागत करते हैं। ये त्योहार असम के बिहू और बंगाल के पोइला बोइशाख की तरह ही होता है। इस त्योहार को खरीफ फसलों के पकने की खुशी में मनाया जाता है।

विशु कानी का महत्व: मलयाली लोगों के लिए इस पर्व का विशेष महत्व होता है। देश भर में ये पर्व अपने अपने अंदाज में रवि की फसलों के पकने की खुशी में मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो राशि चक्र में बदलाव आना शुरू हो जाता है और नए वर्ष की शुरुआत होती है। इस समय भगवान विष्णु और उनके अवतार श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु को समय का देवता माना जाता है जो खगोलीय वर्ष के पहले दिन को चिन्हित करते हैं। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था।

विशु के दिन की प्रमुख विशेषता “विषुक्कणी” है। ‘विषुक्कणी’ उस झाँकी-दर्शन को कहते हैं, जिसका दर्शन विशु पर्व के दिन प्रात:काल किया जाता है। विषु के एक दिन पहले ‘कणी’ दर्शन की सामग्री इकट्ठी करके सजा दी जाती है। एक काँसे के बर्तन में चावल, नया कपड़ा, ककड़ी, कच्चा आम, पान का पत्ता, सुपारी, कटहल, आइना, अमलतास के फूल आदि सजा कर रख दिए जाते हैं। इस बर्तन के पास एक दीपक भी जला दिया जाता है। प्रातः काल परिवार का बुजुर्ग व्यक्ति एक-एक करके परिवार के सदस्यों की आँखें बंद करवाकर ‘विषुक्कणी’ तक ले जाता है और सुबह उसके सर्वप्रथम दर्शन के लिए इसके पास ले जाकर उस सदस्य की आँखें खुलवाता है। ‘कणी’ का दर्शन कराने के बाद घर के बुजुर्ग परिवार के सभी सदस्यों को भेंट में कुछ रुपये देते हैं। इस अवसर पर दावत भी दी जाती है।

विषु कानी के दिन कई जगह सामुहिक भोज भी आयोजित किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते लोगों को घर पर ही इस पर्व को मनाना होगा। विशु कानि के भोज में नमकीन, मीठे, खट्टे तथा कड़वे व्यंजनों को समान मात्रा में शामिल किया है। विशु कानि पर्व के दिन दो विशेष प्रकार के व्यंजन- पहला वेप्पमपूरासम (नीम से बना एक कड़वा व्यञ्जन) है तथा दूसरा मांगा पचड़ी (कच्चे आम की चटनी)।