Vijayadashmi Puja Vidhi: नवरात्र के संपन्न होने के ठीक अगले दिन दशहरा मनाया जाता है। लेकिन इस साल तिथियों में कंफ्यूजन होने की वजह से महानवमी और दशहरा दो दिन मनाया जा रहा है। इसलिए ही कई लोगों ने दशहरा 25 अक्तूबर, रविवार को मना लिया हैं और कई लोग 26, सोमवार यानी आज यह महापर्व मना रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है।
विजयदशमी का शास्त्रों में बहुत अधिक महत्व माना गया है। कई क्षेत्रों में विजयदशमी के दिन रावण दहन किया जाता है लेकिन वही विजयदशमी के दिन लोग रावण के ज्ञान की पूजा भी करते हैं। बताया जाता है कि विजयदशमी के दिन लंकापति रावण के ज्ञान की पूजा करने से ज्ञान और बल की प्राप्ति होती हैं। इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है।
विजयदशमी पूजन विधि (Vijayadashmi Pujan Vidhi) गंगाजल के छींटों से अस्त्र-शस्त्र पवित्र करें। इसके बाद शस्त्रों पर हल्दी या कुमकुम का तिलक लगाएं। साथ ही शस्त्रों पर फूल भी अर्पित करें। फिर शस्त्रों पर शमी के पौधे के पत्ते अर्पित करें। बताया जाता है कि विजयदशमी के दिन शमी के पौधे के पत्तों से शस्त्र पूजन करने से उनकी शक्ति में वृद्धि होती हैं। पूजा के बाद शस्त्रों को प्रणाम करें। कुछ देर बाद शस्त्रों को वापस उनके स्थान पर रख दें।
इस दिन श्रीराम की आराधना भी की जाती है। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उनकी प्रतिमा स्थापित करें। फिर दोनों हाथ जोड़कर श्रीराम का ध्यान करें। दीप, धूप और अगरबत्ती जलाएं। श्रीराम को तिलक लगाकर पुष्प अर्पित करें। इसके बाद श्रीराम स्तुति का पाठ करें। भगवान श्रीराम के विजय मंत्र – ‘श्री राम जय राम जय जय राम।’ का जाप करें। श्रीराम नाम माला का पाठ करें। इसके बाद राम जी की आरती करें। उनको फल या मिठाई का भोग लगाकर पूजा संपन्न करें। इसके बाद शमी के पौधे के पास जाकर उसकी तलहटी में दीपक जलाएं। साथ ही वहां बैठकर यह प्रार्थना करें कि परिवार से क्लेश दूर हो और सुख-संपत्ति में वृद्धि हो।