Vidur Niti for Success : विदुर जी की गिनती विद्वानों में होती है। कहते हैं कि महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत का श्रेय विदुर जी को भी जाता है क्योंकि उन्होंने महाभारत युद्ध से पहले बहुत बार पांडवों की सहायता की थी। पांडव विदुर जी की सलाह इसलिए माना करते थे क्योंकि वह परम ज्ञानी थे। विदुर का अर्थ बुद्धिमान होता है। कहा जाता है कि अपने नाम की तरह ही विदुर जी बहुत समझदार थे। विदुर नीति में उन्होंंने व्यक्ति के जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाला है और यह भी बताया हैै कि वो कौन सी बातें हैैं जो मनुष्य की कामयाबी में रोड़ा बनती हैं। ताकि कामयाबी के बीच आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके।
षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
विदुर जी कहते हैं कि उन्नति चाहने वालों की राह में जो सबसे पहली बाधा आती है वह पुरुषों की नींद है। व्यक्ति नींद में सबकुछ भूल जाता है। नींद कामयाबी की राह में ऐसी अड़चन है जो सबसे ज्यादा जरूरी लगने लगती है और मनुष्य बाकी कर्म करना भूल जाता है। इसका त्याग करना चाहिए।
दूसरा तत्व बताते हुए विदुर जी कहते हैं कि मनुष्य को तन्द्रा का त्याग करना चाहिए तभी वह किसी भी क्षेत्र में कामयाबी पा सकता है। जो व्यक्ति इसका त्याग नहीं कर सकता है उसे कामयाबी पाने की चाहत को भी छोड़ देना चाहिए। वरना तन्द्रा कभी कामयाब नहीं होने देगी।
विदुर नीति में आगे बताते हुए विदुर जी कहते हैं कि डर बहुत बुरा होता है। इसकी वजह से लोग कामयाबी की राह पर नहीं चल पाते हैं। बुद्धिमान मनुष्य वही है जो कामयाबी पाने के लिए समय रहते डर का त्याग कर दे। क्योंकि अगर डर का हाथ थामे रहेंगे तो कामयाबी हमेशा दूर भागती रहेगी।
क्रोध करना गलत है। विदुर जी बताते हैं कि जिस व्यक्ति को क्रोध बहुत अधिक आता है वह कामयाबी हासिल नहीं कर सकता है। क्योंकि सफलता पाने की राह पर चलते हुए हजारों बार नाकामयाबी का सामना करना पड़ता है और जिस व्यक्ति को क्रोध बहुत अधिक आता है वह इस समय हार मान जाता है।
जिस व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता हासिल करनी है उसे आलस्य का त्याग कर देना चाहिए। विदुर जी का मानना है कि आलस्य सफलता में अड़चनें पैदा करती है। इसकी वजह से मनुष्य रोज थोड़ा-थोड़ा नाकामयाबी की ओर गिरता चला जाता है जिसका उसे खुद भी नहीं पता चल पाता है।
छठा और अंतिम तत्व बताते हुए विदुर जी कहते हैं कि कामयाबी पाने वाले में दीर्घसूत्रता नहीं होनी चाहिए। जिस काम को जल्दी किया जा सकता है उसमें जानबूझ कर देर करना मूर्खता का काम होता है। इसलिए जो व्यक्ति कामयाबी पाना चाहता है उसे सभी कामों को समय से करना चाहिए।

